करौली। करौली आषाढ़ माह की शुरुआत में हुई बारिश के बाद क्षेत्र में किसानों द्वारा खरीफ फसल की बुआई की गई थी। इन दिनों सभी खरीफ फसलें खेतों में लहलहाने लगी हैं। इसके चलते किसान फसलों की निराई-गुड़ाई में जुट गए हैं, लेकिन मजदूरों ने पिछले साल निराई-गुड़ाई की मजदूरी 250 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दी है। फिर भी किसानों को मजदूर मिलने में दिक्कत हो रही है. कृषि विभाग के अनुसार सपोटरा उपखंड क्षेत्र की 34 ग्राम पंचायतों में पिछले वर्ष 23539 हैक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलें थीं. इस वर्ष किसानों ने कुल 23966 हेक्टेयर भूमि पर बाजरा, तिल, मूंग, मूंगफली सहित अन्य सभी खरीफ फसलें बोई हैं। बुआई के 2 सप्ताह बाद अब इन दिनों सभी खरीफ फसलें खेतों में लहलहाने लगी हैं. इसके चलते किसान निराई-गुड़ाई से जुड़े काम में जुट गए हैं। क्षेत्र में एक साथ बारिश होने से फसल भी एक साथ बोई गई। फसलों की निराई-गुड़ाई का काम भी साथ-साथ होने लगा है। जिससे किसानों को फसल की निराई-गुड़ाई के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर, कृषि कार्य में वृद्धि के कारण मजदूरों की मजदूरी भी रुपये से बढ़ा दी गई है।
दूर-दराज के गांवों से मजदूर लाने पड़ते हैं क्षेत्र के किसान गोपाल शर्मा, कन्हैया लाल, उमेश प्रजापत, रामनिवास मीना सहित ने बताया कि इस वर्ष एक साथ बारिश होने से एक साथ बुआई हुई। जिससे फसलों में निराई-गुड़ाई का कार्य भी साथ-साथ होने लगा है। इसके चलते किसानों को स्थानीय गांवों में मजदूर नहीं मिल रहे हैं और उन्हें निराई-गुड़ाई के लिए गंगा जी की कोठी, महू बगीची सहित अन्य गांवों से मजदूर लाने पड़ रहे हैं। खेतों की मेड़ों पर कीट का प्रकोप, नियंत्रण के उपाय सहायक कृषि अधिकारी रामगोपाल सिंह ने बताया कि इस वर्ष से ही खेतों की मेढ़ों पर कीट रोग लगना शुरू हो गया है। यदि किसानों द्वारा इसका उपचार नहीं किया गया तो फसल में वृद्धि के साथ-साथ कीट रोग भी अपना आकार ले लेगा और खेतों में खड़ी पूरी फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देगा। इसलिए किसानों को अभी से ही इस कीट रोग पर नियंत्रण पाने के लिए खेतों की मेढ़ों पर किनाल फॉस 1.5 प्रतिशत कीट नियंत्रण दवा का छिड़काव फसल के बड़े होने पर 6 किलोग्राम प्रति बीघे की दर से करने की जरूरत है. जबकि यह अभी भी कम मात्रा में है इसलिए कीट नियंत्रक का छिड़काव कम मात्रा में ही करना चाहिए।