कही बन्दर तो कही कुत्तो का आतंक: मथुरा की फर्म पकड़ रही बंदर, पूना की फर्म कुत्ते के पीछे

Update: 2022-10-12 12:32 GMT

कोटा न्यूज़: स्मार्ट सिटी कोटा शहर में एक ओर जहां कुत्तों और बंदरो का आतंक बढ़ रहा है। आए दिन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं नगर निगम की ओर से दोनों पर शिकंजा कसा जा रहा है। पिछले छह माह में बड़ी संख्या में बंदरों को पकड़ने के साथ ही कुत्तों का बधियाकरण भी किया जा चुका है। शहर में कुत्तों द्वारा आए दिन लोगों को काटने के मामले हो रहे हैं। गत दिनों महिला पार्षद व कोटा दक्षिण के महापौर पुत्र समेत कई लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। जिससे लोगों में दशहत का माहौल है। सड़क पर झुंड में श्वान देखते ही लोगों में घबराहट शुरू हो जाती है। लोग कुत्तों से बचकर निकलते हुए देखे जा सकते हैं। लेकिन उसके बाद भी हालत यह है कि शहर में हर सड़क, गली मौहल्ला और मुख्य मार्ग तक पर कुत्तों के झुंड दिखाई देने लगे हैं। हालांकि नगर निगम ने कुत्तों की समस्या के निजात के लिए शहर से दूर बंधा धर्मपुरा स्थित निगम की गौशाला परिसर में श्वान शाला बनाई गई है। कोटा दक्षिण द्वारा बनाई गई श्वानशाला में कुत्तों का टीकाकरण व बधियाकरण किया जा रहा है। इस काम का ठेका पूना की फर्म को दिया गया है।

कोटा उत्तर की भी तैयार हो रही श्वानशाला: नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा करीब 60 लाख रुपए की लागत से 33 बैरक वाली श्वानशाला बनाई गई है। जिसमें ओटी से लेकर कुत्तों को रखने की सुविधा तक है। यहां कुत्तों का टीकाकरण व बधियाकरण किया जा रहा है। जबकि कोटा उत्तर निगम द्वारा बंधा धर्मपुरा में ही 76 लाख की लागत से नई श्वानशाला बनाई जा रही है। 125 बैरक वाली इस श्वानशाला का भी अधिकतर काम परा हो चुका है। हालाकि कोटा उत्तर निगम ने भी कुत्तों का ठेका दिया हुआ है। लेकिन अभी तक फर्म द्वारा कुत्तों का टीकाकरण शुरू नहीं किया गया है।

बंदरों को भी छोड़ रहे जंगलों में: कुत्तों की तरह ही बंदरों का आतंक भी शहर में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसे रोकने के लिए नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण की ओर से बंद पकड़ने का टेंडर किया हुआ है। मथुरा की फर्म पिछले कई सालों से कोटा में बंदरों को पकड़कर ज़ंगल में छोड़ रही है। इसके बाद भी बंदर कम नहीं हो रहे हैं। हाल ही में नगर निगम कोटा दक्षिण के वार्ड 79 में भी बंदर ने एक युवक पर हमला बोल दिया था। बंदर पुराने शहर के पाटनपोल, रामपुरा व नयापुरा समेत कई क्षेत्रों में झुंडों में देखे जा सकते हैं। नयापुरा स्थित सीबी गार्डन, नागाजी का बाग के अलावा किशोर सागर तालाब की पाल व अदालत परिसर में भी बड़ी संख्या में बंदर है। मथुरा की फर्म द्वारा बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ा जा रहा है। उसके बाद भी इनकी संख्या कम नहीं हो पा रही है।

छह माह में 764 बंदर पकड़े: नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण द्वारा बनदरों को पकड़ने का ठेका दिया हुआ है। शहर में बंदरों के काटने की शिकायत पर निगम द्वारा फर्म के ठेकेदार को सूचित किया जाता है। उसके बाद वह अपने कर्मचारियों को भेजकर पिंजरा लगवाकर बंदर पकड़वाता है। निगम द्वारा हर साल ठेका दिया जा रहा है। निगम अधिकारियों ने बताया कि कोटा दक्षिण में ही अप्रेल से सितम्बर के अंत तक 6 माह में 764 बंदरों को पकड़कर दरा व रावतभाटा के जंगलों में छोड़ा जा चुका है। निगम द्वारा संवेदक को प्रति बंदर पकड़ने पर 470 रुपए का भुगतान किया जाता है।

तीन माह में 1200 कुत्तों का टीकाकरण: नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण द्वारा पूना की फर्म को कुत्तों को पकड़कर उनका टीकाकरण व बधियाकरण करने का ठेका दिया हुआ है। संवेदक ने काफी समय पहले ही काम भी शुरू कर दिया था। उस समय करीब 900 श्वानों का बधियाकरण किया जा चुका था। मगर संगठनों द्वारा कुत्ते पकड़ने का विरोध होने पर उन्हीें पकड़ना बंद कर दिया था। लेकिन कुत्तों के काटने की समस्या अधिक बढ़ने पर फिर से उन्हें पकड़ने व बधियकरण का काम शुरू कर दिया है। संवेदक फर्म द्वारा जुलाई से सितमबर तक 3 माह में करीब 1200 कुत्तों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा चुका है।

इनका कहना है: कुत्तों व बंदरों के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई लगातार जारी है। कुत्तों को श्वानशाला में ले जाकर बधियाकरण व टीकाकरण करने का काम लगातार जारी है। यह काम अदालत के आदेश की पालना में उसके अनुसार ही किया जा रहा है। वही बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का ठेका मथुरा की फर्म को दिया हुआ है। उसके आदमी आते हैं। शिकायतों पर पिंजरा लगाकर कार्रवाई करते हैं।

-राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण  

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