प्रशिक्षण पश्चात अर्जित कौशल व ज्ञान छीना या नष्ट नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

Update: 2024-03-12 08:56 GMT

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी कि अभ्यर्थी द्वारा हासिल किया गया ट्रैनिंग/ प्रशिक्षण एक ऐसा कार्य है जो बुद्धि से सम्बंधित हैं और ऐसा कौशल एवं ज्ञान एक बार हासिल करने के बाद उसे नष्ट अथवा समाप्त नहीं किया जा सकता और न ही छीना जा सकता है। जोधपुर स्थित डॉ सम्पूर्णानंद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में अध्ययनरत चिकित्सक ने एनेस्थेसिया ब्रांच में तीन-वर्षीय स्नाकोत्तर कोर्स के अंतिम वर्ष में उपस्थिति कम होने पर फाइनल परीक्षा में शामिल नहीं करने पर हाइकोर्ट की शरण ली थी। अधिवक्ता यशपाल खिलेरी के मार्फ़त रिट याचिका पेश की। आरंभिक सुनवाई पर 27.05.2022 को न्यायालय ने अंतिम लिखित परीक्षा में याचिकाकर्ता को सम्मिलित करने के अंतरिम आदेश दिए थे।

अंतिम परीक्षा में अच्छे अंको से उत्तीर्ण होने के बावजूद, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय याची का रिजल्ट घोषित नहीं कर रहा था। रिट याचिका की अंतिम सुनवाई पर अधिवक्ता ख़िलेरी के तर्कों पर मनन और पूर्व न्यायिक दृष्टान्त नीतू चौधरी बनाम राजस्थान सरकार की नज़ीर एवं रिकॉर्ड का अनुशीलन कर उच्च न्यायालय एकलपीठ ने माना कि याचिकाकर्ता चिकित्सक एक योग्य अभ्यर्थी होकर स्नाकोत्तर डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एम.डी.) योग्यता अर्जित कर चुकी हैं जो कौशल एवं ज्ञान एक बार हासिल कर लेने के बाद इसे नष्ट और छीना नही जा सकता हैं। ऐसे में अब याचिका के गुणावगुण पर जाने की आवश्यकता नहीं रहीं । याची का रिजल्ट घोषित करने व स्नाकोत्तर डिग्री प्रदान करने के आदेश दिए गए। राजस्थान हाइकोर्ट के न्यायाधीश डॉ नूपुर भाटी की एकलपीठ से अंतिम राहत मिली।

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