80 साल के पिता के हत्यारे बेटे को मृत्युदंड नहीं, जिंदा रहने तक जेल

मृत्युदंड नहीं, जिंदा रहने तक जेल

Update: 2023-07-27 09:48 GMT
जज के सामने 80 साल के बुजुर्ग पिता के हत्यारे बेटे को पेश किया गया तो फैसला लिखते वक्त जज भी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। फैसले में लिखा कि ऐसे बेटे को मौत की सजा नहीं, जिंदा रहने तक जेल में रहने की सजा देना ठीक होगा।
जज ने लिखा- आरोपी ने अपने पिता की बेरहमी से हत्या की। बेटे के पैदा होने पर खुशियां मनाना और पूरे मोहल्ले में लड्डू बांटना इंडियन कल्चर में शामिल है। हर बाप की अपने बेटे से जायज उम्मीद रखता है कि बुढ़ापे में बेटा ध्यान रखेगा।
लेकिन वही बेटा जब 80 साल के बुजुर्ग बाप की बेरहमी से हत्या करता है तो पूरे समाज पर इसका असर पड़ता है। यह सामाजिक नजरिए से भी बहुत निन्दनीय है। लोक अभियोजक की ओर से ऐसे आरोपी के लिए मृत्युदंड की मांग की गई है।
इस मांग में वजन है। लेकिन ऐसे बेटे को मौत की सजा देने की बजाए जिंदगीभर कैद की सजा देना ज्यादा न्यायोचित होगा। ताकि वो जिंदगीभर जेल की चारदीवारी में अपने जन्मदाता पिता के खिलाफ किए गए उस घिनौने कृत्य को लेकर आत्म विश्लेषण करे और आंसू बहाए।
उम्रकैद के साथ 10 हजार रुपए का जुर्माना
झुंझुनूं जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेन्द्र दीक्षित ने बुधवार को बुजुर्ग पिता की हत्या के आरोपी को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।
झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी थाना इलाके के भौड़की गांव में नितड़ों की ढाणी निवासी छोटूराम ने 9 अगस्त 2019 को अपने 80 साल के पिता शिवमाल की हत्या कर दी थी। हत्या के बाद बॉडी को गुढ़ागौडजी हॉस्पिटल लाया गया।
उस वक्त आरोपी के भाई हरिराम ने पुलिस को घटना के बारे में जानकारी दी। हरिराम की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया गया। रिपोर्ट में हरिराम ने बताया कि वे 4 भाई हैं। 9 अगस्त की सुबह 9.15 बजे शिवमाल ( 80) खेत में बने मकान की कच्ची रसोई के पास बैठा था।
उसी वक्त छोटूराम अपने हाथ में बाकड़ा (दांतला) लेकर आया और बुजुर्ग पिता की गर्दन पर ताबड़तोड़ वार कर डाले। शिवमाल वहीं गिर गया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने जांच के बाद चालान पेश किया। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने इस्तगासा पक्ष की तरफ से 10 गवाहों के बयान करवाए। इसके अलावा मामले में 29 साक्ष्य पेश किए गए।
न्यायालय में तर्क दिया कि जिस उम्र में पिता को पुत्र के सहारे की जरूरत होती है, उस उम्र में आरोपी ने अपने बुजुर्ग पिता की सेवा करने के बजाए क्रूरता से उसकी हत्या कर दी। यह जघन्य कृत्य है। आरोपी को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने पत्रावली पर आए साक्ष्यों का बारीकी से विश्लेषण करते हुए आरोपी छोटूराम को सजा व जुर्माना से दंडित किया।
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