सिकंदरा का पत्थर पर नक्काशी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन चुकी है पहचान

राजस्थान के दौसा जिले के सिकंदरा का पत्थर पर नक्काशी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन चुकी है

Update: 2022-08-29 16:29 GMT

 राजस्थान के दौसा जिले के सिकंदरा का पत्थर पर नक्काशी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन चुकी है. सिकंदरा के शिल्पकार देश ही नहीं बल्कि विदेशों के पत्थर को भी मूर्त रूप देने में महारथ हासिल कर चुके हैं. जिले की सिकराय तहसील स्टोन मार्केट विकसित है जिसके देश में अब तक हुए सभी स्टोन मार्ट (पत्थर मेले) में देश विदेश के शिल्पकारों की कलाकृतियों को पीछे छोड़ सिकंदरा की पत्थर नक्काशी ने अपनी धाक कायम कर रखी है. इस कारोबार में जुटे 20 हजार शिल्पकार यहां 600 से अधिक इकाइयों में पत्थर को मनचाहा रूप देने में जुटे हुए हैं. सिकंदरा कस्बे सहित क्षेत्र के पत्थर यह व्यवसाय सालाना 300 करोड़ को पार कर चुका है. हालांकि पत्थर का काम करते समय कई सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं. पत्थर के काम करने से यहां पर काफी लोगों की सिलिकोसिस बीमारी के चलते मौत भी हो चुकी है.

स्टोन मार्केट संघ के अध्यक्ष खैराती लाल सैनी ने बताया कि संपूर्ण जिले में सालाना पत्थर का व्यवसाय करीब 300 करोड़ का होता है। और यहां पर काफी लोग विदेशों से आकर भी पत्थर पर उकेरी गई आकृतियां को देखकर भी लोग खरीदते हैं.
स्टोन व्यापारी यादवेंद्र स्वामी ने बताया कि यह पत्थर मकराना और बंसी पहाड़पुर से आता है. बड़ा पत्थर आने के बाद यहां मशीनों के द्वारा उसके अलग-अलग टुकड़े किए जाते हैं और फिर कारीगरों के द्वारा उनमें आकृतियां उकेरी जाती हैं. फिर उन्हें देश के कोने-कोने सहित विदेशों में भी बेचा जाता है. 15 दिन से 1 महीने में पत्थर पर नक्काशी जाती है. जानकारी के अनुसार पत्थर पर आकृति आकृति उतरने में लगभग 15 दिन से 1 महीने का समय लगता है. छोटी आकृति उकेरने में 15 दिन और पत्थर पर बड़ी आकृति को बनाने में लगभग 1 महीने का समय लगता है.
कहां से आता है पत्थर
ग्वालियर, सरमथुरा, बिजोलिया,नागौर जिले के खाटू बंसी पहाड़पुर, मिलटी सहित अन्य जगह से यह पत्थर सिकंदरा क्षेत्र में लाया जाता है. मजदूरों के द्वारा उकेरी गई आकृतियों के बाद यूरोप, सऊदी अरब, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया वहीं भारत के सभी राज्यों में इन्हें भेजा जाता है.
जयपुर के कलाकारों को पीछे छोड़ा
पत्थर नक्काशी पुरानी है लेकिन वहां विशेष रूप से मार्बल पर नक्काशी के साथ हिंदू-देवी देवताओं की मूर्ति बनाने का काम है लेकिन सिकंदरा के आस पास में पत्थर नक्काशी नेचुरल है. यहां के कारोबारियों का कहना है कि शिल्पकार पत्थर पर ही नक्काशी कर उसे मूर्त रूप देता है, जबकि जयपुर में विभिन्न केमिकल, पाउडरों का उपयोग कर सजावट की जाती है. इससे सिकंदरा की नक्काशी हमेशा एक जैसी रहती है.
अमेरिका-यूके-फ्रांस जापान में विशेष मांग
सिकंदरा में तैयार होने वाली नक्काशी देश के बड़े शहरों सहित अमेरिका, यूके, फ्रांस, जापान, इटली, नेपाल और पाकिस्तान के होटल, मकानों में चार चांद लगा रही है. पहले दिल्ली के एक होटल की सजावट के लिए ऑस्ट्रेलिया से पत्थर मंगवाकर सिकंदरा में तराशा गया. इटली से भी भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग पत्थर मंगवाकर सिकंदरा में मूर्ति और मकान होटलों में सजावट के आइटम तैयार कराते हैं.


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