अफीम की फसल पर काले-सफेद मस्से का साया, काश्तकार किसान परेशान

Update: 2023-03-03 11:30 GMT
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ मौसम में लगातार हो रहे बदलाव का असर अब अफीम की खेती पर देखने को मिल रहा है. मौसम में तेज उतार-चढ़ाव के कारण रबी फसलों में बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। वहीं अफीम की फसल में कई रोग लग चुके हैं। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है। जबकि किसानों ने डोडो से चीरा लगाना शुरू कर दिया है। मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण अफीम के उत्पादन को लेकर किसान असमंजस में हैं। गौरतलब है कि जिले में पिछले कुछ दिनों से तापमान में अचानक परिवर्तन हो रहा है। इसके साथ ही काला सोना कही जाने वाली अफीम की फसल में भी तरह-तरह की बीमारियां नजर आने लगी हैं। मौसम के अनुसार अति संवेदनशील फसल अफीम को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। पहले किसानों ने पशु-पक्षियों से फसलों की सुरक्षा पर काफी खर्च किया है। अब फसलों में रोग लगने लगे हैं। काले मस्से का असर इन दिनों अफीम की फसल में ज्यादा दिखाई दे रहा है। पोस्त की फसल में काला मस्सा रोग लगने से पौधों की पत्तियाँ नीचे से पीली पड़ने लगी हैं। इससे डोडा की तरक्की रुक गई है।
मौसम में आए बदलाव से अफीम किसानों की चिंता बढ़ गई है। जिले में लगातार बढ़ रहे तापमान से अब किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। अफीम की फसल में काले मस्से का प्रकोप दिखने लगा है। पोस्ता के पौधों की पत्तियाँ विभिन्न रोगों के कारण पीली पड़ रही हैं। इस समय अफीम की फसल के लिए अधिकतम तापमान 25 से 30 डिग्री जबकि दिन का तापमान 35 से 37 डिग्री चल रहा है। जिससे अंतिम समय में डोडो की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन दिनों अफीम की कलियों में चीरे लगाए जा रहे हैं। जिले में इस साल करीब साढ़े आठ हजार खेतों में अफीम की फसल लहलहा रही है। नारकोटिक्स विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए कुल 8482 लाइसेंस वितरित किए गए हैं। इसके तहत जिले के प्रतापगढ़ प्रखंड में 4628 किसानों को लाइसेंस दिया गया है. इसमें से चीरा लगाने वाले किसानों की संख्या 3426 है। जबकि सीपीएस प्रणाली के तहत 1202 किसान हैं। छोटीसादड़ी प्रखंड में कुल 3854 किसानों को लाइसेंस दिया गया है. इसमें चीरा लगाने वाले किसानों की संख्या 3290 है। जबकि सीपीएस सिस्टम में 564 लाइसेंस हैं।
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