सावन 2022: सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है, जानिए क्या है सावन और भगवान शिव का संबंध, क्यों है इस महीने को इतना प्रिय

सावन का पहला सोमवार

Update: 2022-07-17 07:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जयपुर: सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ेगा और सावन का अंतिम सोमवार 8 अगस्त को पड़ रहा है. इस साल सावन में कुल 4 सोमवार आ रहे हैं. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय मंत्र जप का भी बहुत महत्व होता है. 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जप करने से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. शिव भगवान को यदि प्रसन्न करना है तो सावन माह में पूरे विधि विधान के साथ उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन मास भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह है और इस दौरान यदि कोई श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा होती है. सावन के पावन महीने में शिव के भक्त कावड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि श्रावण माह में सोमवार के दिन का भी विशेष महत्व होता है. सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है. इस महीने राशि के अनुसार विशेष उपाय करने शिवजी की कृपा प्राप्त होती है. इस बार सावन में चार सोमवार होंगे. इस साल सावन का महीना 29 दिन का है. श्रावण मास का सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है. सावन के सोमवार का भक्तों को बहुत इंतजार रहता है. इस महीने में भोलेशंकर की विशेष अराधना की जाती है. लोग भोले शंकर का रुद्राभिषेक कराते हैं.
सावन में चार सोमवार और दो प्रदोष व्रत:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन में चार सोमवार और दो प्रदोष व्रत रहेंगे. इसके अलावा कई विशेष शुभ योग भी आएंगे. ऐसी मान्यता है कि इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है.
सावन की पूजा-विधि:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन महीने में सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें. इसके बाद ऊं नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें. शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं. फिर फूल, बिल्वपत्र, धतूरा और अन्य चीजें चढ़ाकर आरती करें. इसके बाद नैवैद्य लगाएं. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है. पूजा-आरती के बाद शिव मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
सावन सोमवार की तिथियां:-
18 जुलाई सोमवार- श्रावण मास का पहला सोमवार
25 जुलाई सोमवार- श्रावण सोमवार व्रत
01 अगस्त सोमवार- श्रावण सोमवार व्रत
08 अगस्त सोमवार- श्रावण सोमवार व्रत
12 अगस्त शुक्रवार- श्रावण मास का अंतिम दिन
सावन का महत्व:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है. जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा करनी चाहिए. भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस माह में शिव की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मां पार्वती को भी सावन अत्यंत प्रिय:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है. ठीक उसी तरह से मां पार्वती को भी सावन का महीना अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. वहीं सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रकने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
चंद्रमा व मां गंगा से भी सीधे संबंध:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिवजी के मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा और गंगा मैया का संबंध भी सावन मास से है. दरअसल कैलाश पर्वत पर सभी स्थान पर बर्फ जमी रहती है और उसके पास मानसरोवर भी स्थित है. भगवान शिव को जल से काफी लगाव है. भगवान विष्णु तो जल में ही निवास करते हैं.
सावन माह में हर साल ससुराल आते है भगवान शिव:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साथ ही ये भी धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव सावन मास में ही धरती पर अवतरित हुए थे. उसके बाद जब ससुराल गए तो उनका खूब धूमधाम से स्वागत किया गया. इस कारण से ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष सावन माह में अपने ससुराल में आते हैं. इन्हीं कारणों के चलते भगवान शिव को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है.


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