रामगढ़ अभयारण्य में सफारी पर्यटकों को नहीं आती पसंद, लोगों में उत्साह कम
बूंदी। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य क्षेत्र में गत 23 जून से पर्यटकों के लिए सफारी शुरू की गई, जिसमे यहां पर्यटक दो पारी में अभयारण्य में भ्रमण कर सकते है, लेकिन दो माह के बीत जाने के बाद भी मिले आंकड़ों के अनुसार देशी और विदेशी पर्यटकों को रामगढ़ अभयारण्य में सफारी रास नहीं आ रही हैं। फिलहाल बारिश का मौसम होने के कारण संभवत पर्यटकों की आवाजाही भी रुकी सी है। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में गत दो माह से देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए सफारी चालू है। अब तक केवल 97 पर्यटकों ने सफारी का आनन्द लिया है।इसमें से 81 देशी व 16 विदेशी पर्यटकों ने सफारी में भाग लिया है। सफारी जीप 21 चक्कर लगा चुकी है, जिसमें से 84 हजार रुपए विभाग को रेवेन्यू प्राप्त हुआ है। बारिश के मौसम में पर्यटकों की संख्या में कमी रहती ही है। अक्टूबर माह से पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा देखने को मिलेगी।बाघिन व चीतल आने से काफी फायदा होगा।
विभाग ने सफारी के लिए प्रति व्यक्ति टिकट 780 रुपए तय किए है। जंगल में सफारी का आनंद उठाने के साथ पैंथर, भालू, चीतल, नीलगाय, जंगली सुअर, सांभर व नेवला आदि देखने को मिलेंगे। अब तो बाघ - बाघिनों का कुनबा बढ़ने के बाद पर्यटकों को संख्या में तेजी से इजाफा होना चाहिए। जानकारों की माने तो रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में सफारी के लिए बनाई गई सड़क के हालात ठीक नहीं है। टाइग्रेस को क्लोजर में एक तरफ से दूसरी तरफ विचरण करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।वही कही न कही भौतिक सुविधाओं का अभाव भी सफारी के लिए लोगों का ध्यान नहीं खींच पा रहा है। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में शुक्रवार सुबह साढ़े चार बजे 23 चीतल जमनाबाड़ी एनकलोजर में छोड़ेगए, जिनमें 11 नर चीतल व 12 मादा चीतल है। इन चीतलों को दिल्ली स्थित चिड़ियाघर से लाया गया है।वहीं रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में कुल 100 चीतल लाने का लक्ष्य है।