कोटा: राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार करने के लिए जानी जाती है। इंजीनियरिंग में नयापन करना अब आरटीयू की पहचान बन चुकी है। डिग्री में तकनीक का इस्तेमाल कर यूनिवर्सिटी इन दिनों खूब चर्चा बटोर रही है। इस बार विश्वविद्यालय की डिग्री 20 तरह के हाई सिक्योरिटी फिचर से लैस की गई है। यह डिग्री न तो पानी में गिलेगी और न ही इसकी फोटोकॉपी की जा सकेगी। यह पूरी तरह से वाटरप्रूफ होने के साथ कोडिंग सिस्टम से लैस होगी। बार कोड स्कैन करते ही छात्रों का आॅनलाइन डेटा सामने आ जाएगा।
नहीं होगी फोटोकॉपी
कुलपति प्रो. एसके सिंह ने बताया कि आए दिन डिग्री फजीवाडेÞ के मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे फर्जीवाड़े से निजात पाने के लिए विश्वविद्यालय ने अपनी डिग्रियों को हाई सिक्योरिटी सिस्टम से लैस किया है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण फिचर एंटी लॉकिंग कॉपी यानी कोई भी व्यक्ति डिग्री की फोटोकॉपी नहीं करवा सकता। यदि कोई फोटोकॉपी करवाने की कोशिश करेगा तो डिग्री पर आॅटोमेटिक कॉपी लिखा हुआ वाटरमार्क प्रिंट हो जाएगा। इस फीचर से डिग्री का फर्जीवाड़ा करने वाले धोखेबाजों पर नकेल कस सकेगी।
फर्जीवाड़े पर लग सकेगी लगाम
छात्रों के एनरोल्ड नम्बर डिग्री के किसी खास हिस्से में लिखे होंगे, जो समान्य रूप से दिखाई नहीं देंगे। लेकिन लैजर से देखने पर दिखाई देंगे। फर्जीवाड़ा करने वाले लोग विश्वविद्यालय के नाम से ही डिग्री बना लेते हैं, जिनका पता कई दस्तावेज देखने के बाद लग पाता है। ऐसे मामले रोकने के लिए ही आरटीयू ने अपनी डिग्रियों को 20 तरह के हाई सिक्योरिटी फीचर से लैस किया गया है। डिग्री प्रमाण पत्र उच्च कोटि का आसानी से न फटने वाला, वाटर प्रूफ और ए-4 साइज के खास मेटेरियलयुक्त कागज पर तैयार किया गया है।
बारकोड स्कैन करते ही सामने आ जाएगी कुंडली
डिग्री में उपयोग किए गए हाई सिक्योरिटी फीचर में बारकोड का भी महत्वपूर्ण किरदार है। डिग्री को कोडिंग सिस्टम से प्रोटेक्ट किया गया है। इसमें नीचे की तरफ बारकोड होगा, जिसे स्कैन करते ही छात्रों की सम्पूर्ण डिटेल आॅनलाइन सामने आ जाएगी। इसके अलावा डिग्री में अनेक सिक्योरिटी फीचर्स भी शामिल किए गए हैं। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में छपी डिग्री पर छात्र का रंगीन फोटो, क्यूआर कोड होगा। छात्रों का डेटा नेशनल डिपॉजिटरी में डाला जाता है। इससे दो फायदे होंगे। पहला डिग्री गुम हो जाने पर यहां से डाटा प्राप्त हो जाएगा औैर दूसरा बार कोड स्कैन करते ही छात्र की पूरी डिटेल सामने आ जाएगी।
न पानी में गलेगी और न ही फटेगी
अक्सर देखने में आता है कि डिग्री के लिए नॉर्मल कागज का उपयोग किया जाता है। जिसकी वजह से डिग्री पानी में गिर जाए तो वह गल जाती है और फट भी जाती है। वहीं, डिग्री कई वर्षों तक रखे-रखे गलने की भी शिकायत रहती है। लेकिन, आरटीयू ने इस बार दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को वितरित की जाने वाली डिग्री को ऐसे विशेष मेटेरियल से तैयार की है कि वह पानी में गिर भी जाए तो गलेगी नहीं और न ही उस पर छपे नम्बर व प्रिंट की इंक भी नहीं फैलेगी। यह पूरी तरह से वाटर फ्रूफ होगी। इसके अलावा लंबे समय से तक रखे रखे भी डिग्री एकदम नई जैसी ही रहेगी। इसका कागज गलेगा नहीं।
दिखाई नहीं देंगे वाइस चांसलर के हस्ताक्षर
डिग्री के किसी एक हिस्से में वाइस चांसलर के हस्ताक्षर होंगे, जो समान्यरूप से
दिखाई नहीं देंगे। इनको देखने के लिए खास तरह की रोशनी की जरूरत होगी। देखने में आता है कि नकलबाज किसी भी डॉक्यूमेंट की हुबहु नकल कर लेते हैं। जिन पर नकेल कसने के लिए ही खास इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा कई फीचर ऐसे हैं, जिनके होते हुए नकलबाज आरटीयू की फर्जी डिग्री नहीं बना पाएंगे। तकनीकी विश्वविद्यालय ने छात्र हित में तकनीक का उन्नत उपयोग किया है।