परिवहन कार्यालय में निलंबित लाइसेंस की पड़ताल में खुलासा

Update: 2024-02-29 08:47 GMT

जयपुर: मेवात क्षेत्र अभी तक टटलूबाजी और ऑनलाइन ठगी के लिए कुख्यात है। अब इन क्षेत्रों के भारी वाहनों के ड्राइवर बेगुनाह लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2023-24 में भरतपुर के 124 ड्राइवरों ने 11 माह में देशभर में करीब 160 बेगुनाहों की जान ले ली।

इनमें से 112 लोग भरतपुर जिले के थे, जबकि शेष तेलंगाना, कर्नाटक, सूरत और आंध्र प्रदेश के हैं। जबकि कई दुर्घटनाओं में एक से ज्यादा लोगों मौत हुई है। एक्सीडेंट करने वाले चालकों पर धारा 279/304A/337 यानी लापरवाही से हुई हत्या के तहत केस दर्ज किया गया है। यह खुलासा आरटीओ कार्यालय में निलंबित लाइसेंसों की पड़ताल में हुआ है।

लापरवाहों के लाइसेंस कैसे बन रहे हैं, इसके दो तरीके

लर्निंग-एलएमवी लाइसेंस के लिए 1700 रुपए फीस और 100 रुपए ईमित्र चार्ज वसूला जाता है। ट्रायल में 90% आवेदक फेल हो जाते हैं। ऐसे में या तो अधिकारी की जुगाड़ लगाने पर पास किया जाता है या दलालों को 1250 रुपए देने पर बिना ट्रायल पास कर दिया जाता है। हैवी लाइसेंस में तभी 3000 तक वसूले जाते हैं।

भरतपुर परिवहन कार्यालय में भरतपुर, डीग में डीग तहसील और कामां में कामां-पहाड़ी के आवेदकों के लाइसेंस बनते हैं। नगर के आवेदक भरतपुर के बजाय डीग और कामां में लाइसेंस बनवा रहे हैं। यहां ट्रॉयल की जरूरत नहीं है। यहां अधिकारियों की मिलीभगत से ​पिनकोड बदल दिया जाता है।

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