उदयपुर न्यूज: नगर निगम की बेसमेंट पार्किंग पर बने कियोस्कों के आवंटन में ही गड़बड़ी नहीं हुई, बल्कि इसका मासिक किराया चुकाने के नाम पर भी फर्जीवाड़ा हो रहा है। अंधेरगर्दी इस कदर है कि अनुज्ञाधारक की मौत के 14 साल बाद भी उसके नाम से कियोस्क का मासिक किराया जमा हो रहा है। इतना ही नहीं, उस व्यक्ति के नाम से भी किराया जमा कराया जा रहा है, जिसे नगर निगम ने नए कियोस्कों में अलॉटमेंट ही नहीं किया।
पुरानी कियोस्क सूची में इस व्यक्ति का नाम था। खास बात ये है कि सन 1969 में लॉटरी के जरिए जिन्हें कियोस्क दिए गए थे, रिकॉर्ड में आज भी कियोस्क उन्हीं के नाम पर हैं। किराया ले रहा निगम बेखबर है कि इनमें से कितने किरायेदारों की मौत हो चुकी या किसने कियोस्क बिक चुके हैं। जबकि आवंटन शर्तों के मुताबिक अनुज्ञाधारक न तो कियोस्क किसी को बेच सकता है, न सबलेट कर सकता है और न ही इसमें कोई भौतिक बदलाव कर सकता है।
उप महापौर पारस सिंघवी का कहना है कि कियोस्क के फर्जीवाड़े जैसी कोई शिकायत मेरे पास नहीं है। सरकार ने कियोस्कों को लेकर हाल ही में कोई गाइड लाइन जारी की है, जिसकी पूरी जानकारी मुझे नहीं है।