राजस्थान: फिर उठा संविदाकर्मियों को पक्का करने का मुद्दा, क्या चुनावों से पहले मिलेगा तोहफा?
बीते शनिवार को उड़ीसा सरकार ने फैसला किया कि सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले सभी संविदाकर्मियों को नियमित किया जाएगा. उड़ीसा के इस फैसले का गूंज राजस्थान में भी देखने को मिली जहां संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है. राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावों से पहले राजस्थान के सरकारी विभागों में कार्यरत करीब 4 लाख संविदाकर्मियों को पक्का करने के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है. ताजा विवाद के केंद्र में राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया और सरकार के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला हैं जिनके बीच सियासी बयानबाजी हो रही है.
दरअसल बीते रविवार को पूनिया ने संविदाकर्मियों को पक्का करने के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा जिसमें कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र 2018 याद दिलाया गया और संविदाकर्मियों को नियमित करने की मांग की गई. वहीं सरकार की ओर से शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने पूनिया और बीजेपी पर पलटवार किया.
मालूम हो कि संविदाकर्मियों के मुद्दे पर पिछले दो दशक में बीजेप और और कांग्रेस दोनों ही चुनावों में बड़ी घोषणाएं करती हैं और चुनाव जाने के बाद मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 सालों में 10 फीसदी से अधिक संविदाकर्मी नियमित नहीं हो पाए हैं. वहीं प्रदेश भर में फिलहाल करीब 4 लाख युवा संविदा (ठेके) पर काम कर रहे हैं.
कांग्रेस ने की वादाखिलाफी : पूनिया
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का कहना है कि सरकार को राज्य के सभी संविदाकर्मियों को सरकारी सेवाओं में नियमित करना चाहिए. पूनिया के मुताबिक कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में पहले 4 साल में यह करने का वादा किया था लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
वहीं कल्ला ने पूनिया को जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी की पिछली सरकार (2013-2018) के दौरान तत्कालीन पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ के नेतृत्व में भी इन कर्मचारियों के लिए एक कैबिनेट सब-कमेटी गठित हुई थी लेकिन कोई हल नहीं निकला था.
कल्ला ने कहा कि कार्मिक विभाग के स्तर पर संविदाकर्मियों से जुड़े बहुत से नियम बनाए जा रहे हैं और हमारी कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को दे दी है जिस पर जल्द ही निर्णय किया जाएगा. हालांकि कल्ला ने यह भी कहा कि संविदाकर्मियों को अचानक से पक्का करने से राज्य सरकार पर बहुत ज्यादा आर्थिक भार पड़ेगा.
4 लाख से ज्यादा है संविदाकर्मी
बता दें कि राजस्थान में 7 लाख स्थाई राज्य कर्मचारियों के अलावा करीब 4 लाख संविदाकर्मी कार्यरत हैं जहां सबसे ज्यादा संविदाकर्मी महिला एवं बाल विकास विभाग में काम करते हैं. इसके अलावा चिकित्सा, शिक्षा और पंचायत राज विभाग में संविदाकर्मियों की संख्या काफी अधिक है जहां इन विभागों में करीब ढाई लाख संविदाकर्मी काम कर रहे हैं.