राजस्थान क्राइम न्यूज़: राजस्थान के नागौर जिले की पुलिस ने खींवसर थाना इलाके में एक ऐसे संगठित गिरोह को दबोचा है जो गुजरात से नॉर्थ इंडिया जाने वाले महंगे कोयले की सप्लाई में इंडोनेशिया का सस्ता कोयला मिलाकर मोटी रकम कमा रहे थे। इस मामले में पुलिस ने गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपित कोयले की खदानों से कोयले का परिवहन करने वाले व ट्रेलर चालकों को मोटी रकम का लालच देकर अपने साथ मिला लेते थे और उन्हें विश्वास दिलाते थे कि इस काम को वह इतनी सफाई से करेंगे कि किसी को पता नहीं चलेगा। भावनगर से जब कोयला रवाना होता था तो ट्रेलर की तिरपाल को चारों और से सील किया जाता था लेकिन आरोपित भावनगर से रवाना होते समय ट्रेलर की लगाई गई पैकिंग सील को हटा देते। इसके बाद खुद के द्वारा बनाई गई हूबहू नकली सील वापस लगा देते।
नागौर सीओ विनोद सीपा ने बताया कि गुजरात से कोकेपीट कोयला पंजाब जाता है, जो बढ़िया क्वालिटी का और महंगा होता है। इसमें मिलावट के लिए आरोपित इंडोनेशिया से कोयला मंगाते थे। इंडोनेशिया से आया कोयला सस्ता होता है और उसकी क्वालिटी भी घटिया होती है। ऐसे में आरोपित इंडोनेशिया के कोयले को बढ़िया क्वालिटी वाले कोयले में मिक्स कर रहे थे। अब तक ये गिरोह करोड़ों रुपये की कमाई कर चुका था। पिछले एक साल से ये अवैध तस्करी का काम धड़ल्ले से किया जा रहा था। पुलिस ने मौके से जेसीबी, क्रेन व ट्रेलर के साथ 124 टन कोयला भी जब्त किया है।
एसएचओ गोपालकृष्ण चौधरी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर राजमार्ग 62 के रूप रजत चौराहे पर दबिश देकर कोयले में मिलावट करने और तस्करी के इस कारोबार का खुलासा किया गया है। यहां जेसीबी की मदद से गुजरात से आने वाले ट्रेलर की पैकिंग सील तोड़कर कोयला खाली किया जा रहा था। इसके बाद तस्करी गिरोह के लोग इसमें सस्ता कोयला मिला रहे थे। ऐसे में ये हर दो ट्रक से एक गाड़ी महंगा कोयला बना रहे थे। इसके चलते इन्हें हर ट्रक से करीब चार लाख रुपये की अवैध कमाई हो रही थी। मौके से जेसीबी, क्रेन व ट्रेलर के साथ 124 टन कोयला जब्त किया गया है। पुलिस ने गिरोह के सात लोगों धनराज जाट बैराथल कल्ला, मंदीप जाट झुंझुनूं, राजेश जाट झुंझुनूं, कुलदीप सिंह सिक्ख पंजाब, अवण सिंह भाकरोद, गुरुदेव सिंह पंजाब, राजूराम देवासी को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार एक ट्रेलर में 30 से 34 टन कोयला आता है। प्रत्येक में करीब 15 से 17 टन नकली कोयला मिलाकर करीब चार लाख रुपये की कमाई की जा रही थी। ऐसे में हर माह करीब 50 लाख रुपये की हेराफेरी हो रही थी।