राजस्थान : चिंग स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड केसेज ने उड़ाई नींद, क्यों बन रहे है ऐसे हालत, जाने

Update: 2023-08-29 14:22 GMT
राजस्थान: एजुकेशन हब कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड केस से कोटा शहर, स्टूडेंट्स के परिजनों और सरकार की नींद उड़ गई है. कोचिंग सिटी कोटा में लगातार हो रही सुसाइड की घटनाओं की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. कोटा में इंडस्ट्री में तब्दील हो चुके कोचिंग व्यवसाय पर अब कई तरह के सवाल खड़े होने लग गए हैं. कोटा की आर्थिक धुरी माने जाने वाले स्टूडेंट्स के सुसाइड केसेज ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. इसका असर दूसरे स्टूडेंट्स की पढ़ाई भी पड़ने लगा है. यहां प्रतियोगी परीक्षाओं का कंपीटिशन इस कदर बढ़ गया है वह अब असहनीय होने लग गया है.
कोटा में हर साल करीब 1 लाख 80 हजार से 2 लाख तक कोचिंग छात्र डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं. एक स्टूडेंट को 1 साल मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए करीब डेढ़ लाख तक की कोचिंग फीस देनी पड़ती है. हजारों करोड़ की इस कोचिंग इंडस्ट्री के पास एक बड़ा मैकेनिज्म होने के बावजूद छात्रों की सुरक्षा को लेकर धरातल पर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. कोचिंग छात्रों द्वारा लगातार सुसाइड की घटनाएं सामने आ रही हैं लेकिन कोई भी कोचिंग संचालक इसकी जिम्मेदरी लेने को तैयार नहीं है.
कोटा में चल रहे 4 हजार से ज्यादा हॉस्टल
कोचिंग संचालकों को अलावा कोटा में हॉस्टल संचालक भी मोटी फीस जमा कराने के बाद गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हैं. इस समय कोटा में करीब 4 हजार से ज्यादा हॉस्टल और करीब 40 हजार के लगभग पीजी संचालित हो रहे हैं. लेकिन इनके हॉस्टल संचालक सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनकी तरफ से सभी नियम कायदे और कानून का पालन किया जा रहा है.
सीएम ने बुलाई थी कोचिंग संचालकों की बैठक
कोचिंग स्टूडेंट्स की सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कोटा के प्रमुख कोचिंग संचालकों की बैठक बुलाई थी. सीएम ने जब मीटिंग में कोचिंग संचालकों से जानना चाहा कि बच्चे ऐसा कदम क्यों उठा रहे हैं. कोचिंग संचालकों ने सीएम की बात जवाब देते हुए कहा कि इस तरह की बढ़ती घटनाओं के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर बच्चों के माता- पिता भी जिम्मेदार हैं. आजकल यह ट्रेंड चल पड़ा है कि बच्चा 10वीं पास हुआ और उसके माता- पिता उसे कोटा लेकर आ जाते हैं. बच्चे के ऊपर कॉम्पिटिटिव एक्जाम की पढ़ाई के अलावा 11वीं और 12वीं की परीक्षा का बोझ भी रहता है.
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