Rajasthan: एकीकृत पेंशन योजना का क्रियान्वयन भजनलाल सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बना
JAIPUR जयपुर। राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए हाल ही में घोषित एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।दश में कांग्रेस के शासनकाल में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से लागू करने वाला यह पहला राज्य था और अब राज्य के सभी सरकारी कर्मचारी ओपीएस के दायरे में हैं। कर्मचारी यूनियनों ने कहा है कि यूपीएस को लागू करना स्वीकार नहीं किया जाएगा। विपक्षी कांग्रेस भी कर्मचारियों का समर्थन कर रही है।महाराष्ट्र ने यूपीएस लागू करने की घोषणा की है, ऐसे में उम्मीद थी कि राजस्थान में भी बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा, लेकिन इस बारे में कोई घोषणा नहीं की गई।
राज्य के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार इस पर काम कर रही है और जल्द ही फैसला लेगी। पटेल ने कहा, "सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और सभी पहलुओं पर काम करने के बाद जल्द ही फैसला लेगी।"इस बीच, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ (संयुक्त) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने भजनलाल सरकार को राजस्थान में यूपीएस लागू करने पर विचार न करने की चेतावनी दी है।गजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों के हित में कोई निर्णय लेना है तो वह राज्य में पुरानी पेंशन योजना को जारी रखने के साथ ही लिया जा सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार या राज्य सरकार का कोई भी निर्णय राजस्थान के कर्मचारियों को स्वीकार नहीं होगा।
राज्य में करीब 10 लाख कर्मचारी हैं। इनमें से करीब आधे पहले से ही ओपीएस के दायरे में थे और बाकी जो 2004 के बाद भर्ती हुए थे, वे नई पेंशन योजना के दायरे में थे, लेकिन अब वे भी ओपीएस के दायरे में हैं, क्योंकि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने 2022 में स्वायत्त निकायों सहित सभी कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से लागू कर दिया है, हालांकि पिछली सरकार एनपीएस के तहत पेंशन फंड वापस नहीं ला सकी, क्योंकि केंद्र सरकार ने मांग को सिरे से खारिज कर दिया था।
यूपीएस को लागू करने की चुनौती का एक राजनीतिक पहलू भी है। छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव भी नजदीक हैं और सरकार राज्य सरकार के कर्मचारियों को नाराज नहीं कर सकती, क्योंकि वे एक बड़ा वोट बैंक हैं और चुनाव कराने वाली मशीनरी का हिस्सा हैं। इसको देखते हुए विपक्षी कांग्रेस भी कर्मचारियों के समर्थन में उतर आई है। ओपीएस को रद्द करने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने राज्य सरकार से यूपीएस पर अपना रुख साफ करने की मांग की है। सोशल मीडिया पर गहलोत ने कहा, "राजस्थान के कर्मचारियों के हित और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए हमारी सरकार ने 2022 में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की थी।
अब भारत सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) शुरू की है, जिसके बाद राज्य कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है। वे जानना चाहते हैं कि सरकार ओपीएस जारी रखेगी या यहां यूपीएस लागू करेगी। राज्य सरकार को इस पर तुरंत स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि कर्मचारी बिना किसी तनाव के अच्छे से काम कर सकें।" सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल 5.52 लाख पेंशनर्स हैं और सरकार का पेंशन भार वित्त वर्ष 2022-23 में 25381 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2035-36 तक 38336 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।