राजस्थान : 5 साल में कितनी बदली सियासत, किसकी कितनी है तैयारी, जानें पूरा समीकरण

Update: 2023-10-09 07:00 GMT
राजस्थान में साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. थोड़ी देर में चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा. चुनाव आयोग ने इससे जुड़े सभी तैयारियां पूरी कर ली है. वहीं, राजनीतिक दलों चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. राजस्थान में इस समय कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 7 जनवरी को खत्म हो रहा है. राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं. पिछली बार हुए चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, 73 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर और मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी. जबकि राष्ट्रीय लोकदल को एक, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को तीन और भारतीय ट्राइबल पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली थी. इसके अलावा 13 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत कर विधानसभा पहुंचे थे.
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीट पर 7 दिसंबर को चुनाव हुए थे. चुनाव नतीजे 11 दिसबंर को आए थे. अलवर की रामगढ़ सीट छोड़कर सभी सीटों पर मतदान हुआ था. कांग्रेस ने इसमें 99 सीटें जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2018 के विधानसभा और आज में काफी कुछ बदलाव देखा गया है. मायावती की पार्टी बसपा के छह और अन्य विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. मौजूदा हालात में कांग्रेस के 108 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 70, रालोपा के 3, माकपा 2, बीटीपी 2 रालोद 1 और 13 निर्दलीय विधायक हैं.
क्या परंपरा बदल पाएगी कांग्रेस
प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का दस्तूर है. पांच साल कांग्रेस तो पांच साल भाजपा की सरकार रहती है. भाजपा इस परंपरा को कायम रखना चाहती है. वहीं, कांग्रेस पांच साल वाली संस्कृति को तोड़ने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार विकास कार्यों के दम पर फिर से सत्ता में वापसी करने का दावा कर रहे हैं. गहलोत सरकार चुनाव से कुछ महीने पहले राइट टू हेल्थ बिल और 10 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा कवर देने वाली चिरंजीवी योजना लागू कर इसे ऐतिहासिक बता रही है. वहीं, भाजपा सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस पर भ्रष्टाचार, लॉ एंड ऑर्डर, बेलगाम अपराध समेत अन्य मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर सत्ता पर काबिज होने की जुगत में है.
चुनाव में ये मुद्दे होंगे हावी
2018 में राजस्थान विधानसभा के चुनाव नतीजे दिसंबर में आए थे, लेकिन इस बार जनता का फैसला एक महीने पहले ही आने की संभावना है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद कांग्रेस के सामने अपना किला बचाने की चुनौती होगी. वहीं, भाजपा के लिए सत्ता पाना सबसे बड़ी चुनौती होगी.
चुनाव में कैसी है दलों की तैयारियां
चुनावी तैयारियों की बात करें तो दोनों दल लगातार बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं. चुनावी विश्लेषकों की मानें तो भाजपा इस बार मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि कांग्रेस अभी भी अशोक गहलोत के नाम पर ही आगे बढ़ रही है. इस बार आम आदमी पार्टी भी राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं.
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