Rajasthan: अफसरों के भरोसे बिजली-पानी मंत्री
नहीं मिट रहा बिजली-पानी संकट
जयपुर: प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते बिजली निगम और जलकल विभाग का प्रबंधन फेल हो गया है. बिजली आपूर्ति व पेयजल की कमी को लेकर दोनों विभाग के अधिकांश कार्यालयों पर प्रतिदिन विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इससे राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर नया संकट पैदा हो गया है. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी पानी और बिजली को लेकर सरकार को घेरने की योजना बनाई है. पीने के पानी को लेकर कांग्रेस कई दफ्तरों पर धरना दे चुकी है. दूसरी ओर बार-बार बिजली कटौती से लोगों की नींद और चैन उड़ रहा है, वहीं नलों में पानी नहीं आने से उन्हें महंगे टैंकर खरीदने पड़ रहे हैं. इस पर सरकार का भी कोई नियंत्रण नहीं है.
जनता को राहत देने में आंकड़ों का खेल: पिछले 10 दिनों में 1.25 लाख बिजली शिकायतें दर्ज की गई हैं. पानी की कमी को लेकर 600 शिकायतें दर्ज की गई हैं. जबकि क्षेत्र में समस्याएँ इससे दस गुना अधिक हैं। विभाग स्तर पर शिकायतें दर्ज नहीं की जा रही हैं। शिकायतें बिना निवारण के बंद कर दी जाती हैं।
अफसरों के भरोसे बिजली-पानी मंत्री: ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर हैं और जल राज्य मंत्री कन्हाई लाल चौधरी हैं। दोनों मंत्री कॉल सेंटर और फील्ड में व्यवस्था देखने निकले, लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ. बिजली कटौती और कुप्रबंधन के बावजूद ऊर्जा विभाग की ओर से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. तीनों निगम रोजाना 3659 लाख यूनिट बिजली सप्लाई करने में सक्षम हैं, जबकि इसमें से करीब 800 लाख यूनिट बिजली महंगी दरों पर खरीदी जा रही है, इसके बावजूद बिजली कटौती हो रही है।
200 करोड़ की खुली पोल: भीषण गर्मी ने जल विभाग की ग्रीष्मकालीन आकस्मिक योजना और बिजली कंपनियों के रखरखाव कार्यक्रम की पोल खोल दी। दोनों विभाग जनता को राहत देने के नाम पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन गर्मी के कारण सिस्टम पर लोड बढ़ गया है और बार-बार ट्रिपिंग व फाल्ट के कारण बिजली गुल हो रही है। वहीं, जलकल विभाग ने हैंडपंप, ट्यूबवेल और पाइपलाइन का बजट खर्च सिर्फ कागजों में बताकर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया.