Rajasthan: गर्भवती महिला को निर्वस्त्र करने के मामले में पति समेत 17 लोगों को कोर्ट ने सुनाई सजा
Rajasthan राजस्थान: 20 वर्षीय गर्भवती महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के करीब एक साल बाद जिला अदालत ने उसके पति समेत 14 लोगों को सात साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने कहा कि यह मणिपुर में किए गए अपराध जैसा ही एक जघन्य अपराध है। मामले में विशेष लोक अभियोजक मनीष नागर ने बताया कि प्रतापगढ़ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रामकन्या सोनी ने शनिवार को मामले में शामिल तीन महिलाओं को भी पांच साल कैद की सजा सुनाई। विज्ञापन उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और प्राचीन शास्त्रों में भी महिलाओं के सम्मान का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि कलयुग में भी महिलाओं Even in Kalyug, women पर हिंसा और अत्याचार जारी है।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, "आरोपी द्वारा महिला के खिलाफ किया गया यह एक गंभीर अपराध था। मणिपुर में भी इसी तरह का जघन्य अपराध किया गया था। ऐसे अपराध महिलाओं को भावनात्मक रूप से आहत करते हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है, तभी अपराध कम होंगे।" वह पिछले साल मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का जिक्र कर रहे थे।
पीड़िता के पति कान्हा मीना Kanha Meena के अलावा, अदालत ने खेतिया मीना, मोतिया उर्फ मोतीलाल मीना, पुनिया मीना, केसरा उर्फ केसरीमल मीना, सूरज मीना, पिंटू मीना, नाथूलाल मीना, मानाराम उर्फ वेणिया मीना, नेतिया मीना, रूपा मीना, गौतम मीना, रामलाल मीना, रमेश मीना को सात साल कैद की सजा सुनाई। तीन महिलाओं - इंद्रा मीना, मिरकी मीना और झुमली मीना को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई।
पिछले साल 1 सितंबर को महिला के कपड़े उतारकर उसे निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आया था। यह घटना 31 अगस्त को प्रतापगढ़ के धारियावाड़ कस्बे के निचलाकोटा गांव में हुई थी, जब आरोपी ने कथित तौर पर पीड़िता को एक ऐसे व्यक्ति के घर पर पाया, जिसके साथ उसका कथित तौर पर रिश्ता था।
महिला, जो सात महीने की गर्भवती थी, को बाद में उसके पिता के घर छोड़ दिया गया। बाद में, उसने अपनी मां के साथ पुलिस से संपर्क किया और अपने पति सहित आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी महिला से मुलाकात की थी और मामले में 10 लाख रुपये मुआवजे और एक सरकारी नौकरी की घोषणा की थी। मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस ने पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।