Ghaggar नदी के गुणवत्ता पर सवाल, कम समय में ही पुल के सरिए निकलने लगे

Update: 2024-08-08 07:16 GMT

RAJASTHAN राजस्थान: ग्रामीणों की दशकों पुरानी मांग के बाद सरदारपुरा खर्था-ठेठार के बीच घग्घर नदी पर तीन वर्ष पूर्व लोकार्पित released घग्घर पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। निकटवर्ती ठेठार व सरदारपुरा खर्था पंचायत को जोडऩे वाले इस पुल का लोकार्पण 27 अगस्त 2021 को समारोहपूर्वक किया गया था। लेकिन तीन वर्ष से भी कम अंतराल में ही पुल के सरिए निकलने लगे हैं तथा सडक़ की कॉन्क्रीट जगह-जगह से उखडऩे लगी है। जिससे वाहन चालकों के साथ हादसों का खतरा बना हुआ है। इसके बावजूद सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी ठेका फर्म पर ठोस कार्रवाई करने के स्थान पर केवल लीपापोती में लगे हुए हैं। इसको लेकर ग्रामीणों और वाहन चालकों में भारी रोष व्याप्त है।

तीन वर्ष पहले नावों से नदी पार करते थे ग्रामीण और कर्मचारी
गौरतलब है कि बारिश के मौसम के दौरान जब घग्घर नदी में पानी आने के दौरान ठेठार व सरदारपुरा खर्था गांवों का सम्पर्क आपस में कट जाता था। इस कारण ग्रामीणों सहित सूरतगढ़ थर्मल काम करने के लिए आने वाले लोगों को नावों से आवागमन Traffic करना पड़ता था। इसके अलावा ठेठार, सोमासर, एटा सहित दर्जनों गांवों के लोगों को पीलीबंगा अथवा हनुमानगढ़ आने जाने वाहनों को सूरतगढ़ होकर 40 से 50 किमी लम्बा रास्ता तय करना पड़ता था। इससे जहां समय अधिक लगता था, वहीं नागरिकों की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था। इसको देखते हुए ग्रामीण दशकों से सरदारपुरा खर्था और ठेठार के बीच घग्घर नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहे थे। दो बार निविदा निरस्त होने व तमाम अड़चनों के बाद करीब 12 वर्ष बाद इस पुल को तीन वर्ष पूर्व आमजन के उपयोग के लिए खोला गया था। जिसके बाद क्षेत्र के ग्रामीणों और थर्मल कर्मचारियों ने राहत की सांस ली थी।

चार दर्जन गांवों का आवागमन सुलभ हो गया था।

पुल का निर्माण होने से थर्मल क्षेत्र के करीब चार दर्जन गांवों का आवागमन सुलभ हो गया था।ग्रामीणों की दशकों पुरानी मांग के बाद सरदारपुरा खर्था-ठेठार के बीच घग्घर नदी पर तीन वर्ष पूर्व लोकार्पित घग्घर पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। निकटवर्ती ठेठार व सरदारपुरा खर्था पंचायत को जोडऩे वाले इस पुल का लोकार्पण 27 अगस्त 2021 को समारोहपूर्वक किया गया था। लेकिन तीन वर्ष से भी कम अंतराल में ही पुल के सरिए निकलने लगे हैं तथा सडक़ की कॉन्क्रीट जगह-जगह से उखडऩे लगी है। जिससे वाहन चालकों के साथ हादसों का खतरा बना हुआ है। इसके बावजूद सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी ठेका फर्म पर ठोस कार्रवाई करने के स्थान पर केवल लीपापोती में लगे हुए हैं। इसको लेकर ग्रामीणों और वाहन चालकों में भारी रोष व्याप्त है।
तीन वर्ष पहले नावों से नदी पार करते थे ग्रामीण और कर्मचारी
गौरतलब है कि बारिश के मौसम के दौरान जब घग्घर नदी में पानी आने के दौरान ठेठार व सरदारपुरा खर्था गांवों का सम्पर्क आपस में कट जाता था। इस कारण ग्रामीणों सहित सूरतगढ़ थर्मल काम करने के लिए आने वाले लोगों को नावों से आवागमन करना पड़ता था। इसके अलावा ठेठार, सोमासर, एटा सहित दर्जनों गांवों के लोगों को पीलीबंगा अथवा हनुमानगढ़ आने जाने वाहनों को सूरतगढ़ होकर 40 से 50 किमी लम्बा रास्ता तय करना पड़ता था। इससे जहां समय अधिक लगता था, वहीं नागरिकों की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था। इसको देखते हुए ग्रामीण दशकों से सरदारपुरा खर्था और ठेठार के बीच घग्घर नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहे थे। दो बार निविदा निरस्त होने व तमाम अड़चनों के बाद करीब 12 वर्ष बाद इस पुल को तीन वर्ष पूर्व आमजन के उपयोग के लिए खोला गया था। जिसके बाद क्षेत्र के ग्रामीणों और थर्मल कर्मचारियों ने राहत की सांस ली थी। पुल का निर्माण होने से थर्मल क्षेत्र के करीब चार दर्जन गांवों का आवागमन सुलभ हो गया था।
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