बंदियों को शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाने की ऊँचाइयों को छुआ केन्द्रीय कारागृह अजमेर के बंदियों ने

Update: 2023-06-14 14:07 GMT
केन्द्रीय कारागृह अजमेर पर जेल प्रशासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने तथा जेल से रिहा होने के पश्चात् रोजगारोन्मुख करने के उद्देश्य से इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) के विभिन्न पाठ्यक्रमों से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। कारागृह में इग्नू द्वारा सर्टिफिकेट कोर्स इन फूड एंड न्यूट्रिशन कोर्स (सीएफएन), सर्टिफिकेट इन ह्यूमन राइट्स कोर्स (सीएचआर), बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) तथा मास्टर ऑफ आर्ट्स आदि कोर्स करवाए जा रहे है। न्यायिक अभिरक्षा के कारण अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पा रहे बंदियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित कर जोड़ने के प्रयास भी किए जा रहे है।
जेल अधीक्षक श्रीमती सुमन मालीवाल के द्वारा बंदियों को शिक्षा प्रदान करने में अहम भूमिका निर्वहन करते हुए अजमेर जेल पर पदस्थापन के पश्चात् विभिन्न कोर्स में नामांकन करवाए गए हैै। इनमें सर्टिफिकेट कोर्स इन फूड एंड न्यूट्रिशन में सत्र 2021 के लिए 116 बंदी कोर्स पूरा कर चुके है। सत्र 2022 ने (सीएफएन) में 216 बंदियों का नामांकन हुआ था। इनमें महिला बंदी सुधारगृह अजमेर से भी 7 महिला बंदी है। इनकी परीक्षा 3 जून से शुरू होकर 5 जुलाई को सम्पन्न होनी है। सत्र 2023 के लिए 96 बंदियों का नामांकन किया है। इस कोर्स की फीस लगभग 1100 रुपए से शुरू होकर करीब 50 हजार तक होती है । यह यहां पर निःशुल्क करवाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कोर्स पूर्ण करने के बाद प्राप्त प्रमाण पत्र से बंदी खाद्य के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नौकरी कर सकते हैं। यह कोर्स डिस्टेंस मोड में भी किया जा सकता है। सर्टिफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रिशन छात्रों को मुख्य रूप से सामग्री, डाइटरी चैलेंजेस और चिंताओं के बारे में ज्ञान प्रदान कराता है। सर्टिफिकेट इन ह्यूमन राइट्स कोर्स (सीएचआर) भी करवाया जा रहा है। सीएचआर 6 महीने से 2 साल का कोर्स हैं। सीएचआर में सत्र 2021-22 में 2 बंदी कोर्स पूरा कर चुके है। सत्र 2023 के लिए एक बंदी का नामांकन हुआ है। इस कोर्स को करने बाद छात्र मानव अधिकारों को समझ कर उनकी जरूरत के लिए आवाज उठा सकते हैं। मुख्य रूप से ये कोर्स ऑफलाइन मोड में है। इस कोर्स को करने के बाद छात्र मानव अधिकारों के इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) 2021-22 में 14 बंदियों ने नामांकन किया था। तथा मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) में एक बंदी ने नामांकन किया था। इससे बंदी अपनी स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण कर सकेगें। कारागृह स्तर पर विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्पर्क कर बंदियों को लेखन व पठन सामाग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। जेल प्रशासन के द्वारा शिक्षा से जुडी इस अनूठी पहल से बंदी शिक्षित हो समाज में सिर उठा कर चलने के काबिल बनेंगे। इस पहल से सभी बंदी स्वरोजगार से जुडकर अपना व परिवार का जीविकोपार्जन कर सकेगें व अपना शेष जीवन समाज के बीच स्वाभिमान के साथ जी सकेंगे। वही शिक्षा से जुडने के बाद उनकी आपराधिक मानसिकता में भी बदलाव आएगा।
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