पर्यावरण प्रदूषण कम करने के प्रैक्टिकल साल्यूशन्स

Update: 2023-01-30 14:47 GMT

कोटा: बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण में रह रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। इस समस्या पर यदि हम आज मंथन नहीं करेंगे तो प्रकृति संतुलन स्थापित करने के लिए स्वयं कोई भयंकर कदम उठाएगी और हम मनुष्यों को प्रदूषण का भयंकर परिणाम भुगतना होगा। प्रदूषण का पर्यावरण के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है । प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभाव से "कल" को बचाने के लिए "आज" सतर्क होना बहुत जरूरी है। प्रदूषण रोक सकते हैं हालाँकि प्रदूषण से बचाव के उपाय भी हैं जिन्हें हर व्यक्ति निजी स्तर पर अपनाना शुरू करे तो यह प्रदूषण कम किया जा सकता है। आम लोगों द्वारा प्रदूषण को दूर करने के लिए कौन से व्यावहारिक समाधान का उपयोग करें जिससे शहर प्रदूषण मुक्त बनें । पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए एक व्यक्ति के रूप में आप क्या उपाय अपने प्रतिदिन के जीवन में कर सकते है, इस बारे में दैनिक नवज्योति ने शहर के लोगों से प्रैक्टिकल साल्यूशन्स जानें। जिन्हें अपनाकर पर्यावरण प्रदूषण कम किया जा सकता है।

- रोजमर्रा की जिंदगी की आदतों को बदलना पड़ेगा। घर में कहीं कचरा है तो खुले में नहीं जलाए, खुले में कचरा नहीं फैंके।

- घरों से निकलने वाले एमएसडब्ल्यू वेस्ट का सेग्रीगेशन प्रॉपर होना चाहिए।

- घरों में बिजली के उपकरण में चार्जिंग में कोई फोन चार्जर में लगा है चार्जिंग के बाद फोन चार्जर से निकाल कर रख दिया उसका स्विच आॅन रह जाता है। वह आन स्विच बिजली चाहे कम मात्रा में कन्ज्यूम रहा है। तो नई बिजली पैदा करने के लिए कोयला भी चाहिए। कोयले से बिजली फिर पैदा होगी तो प्रदूषण बढ़ेगा।

- क ई-व्हीकल्स का इस्तेमाल करें।

-अमित सोनी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, कोटा

- देश में पॉलिथिन को बैन कर दिया उसके बाद भी सब्जीमंडी में या कोई भी चीज खरीदन जाते है तो पॉलिथिन की थैली की मांग करते हैं। पॉलिथिन की थैली नहीं मांगे और कपड़े के थैलो का उपयोग करें।

- कम दूरी का कार्य स्वास्थ्य की दृष्टि से व पेट्रोल बचाने के लिए ठीक है सबसे बढ़िया पॉल्यूशन मुक्त साइकिल का उपयोग करें।

- हम कहीं भी किसी भी कार्यक्रम घर में जन्मदिन या किसी भी पार्टी या शादी-समारोह में पॉलिथिन व डिस्पोजेबल के उपयोग पर स्वयं चलकर पाबंदी लगाए।

- ऐसी कोई सामग्री नहीं लाए जिसको बाद में फेकेंगे नाली में सड़क किनारे फैके तो गाय उसमें खाद्य सामग्री समझेगी और उसे खाकर उसका अंत हो जाएगा। 450 गायों की रोज राजस्थान में पॉलिथिन खा जाने से मृत्यु हो रही है। यह हमारी सर्वे रिपोर्ट है।

- चंबल नदी में सरकारी व प्रशासनिक अनदेखी के सैकड़ो बड़े नाले व हजारो छोटी नालियां सीधे चंबल नदी में गिर रही है। जो प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण हैं। चंबल नदी एक मात्र घड़ियाल सेंचुरी है उसमें गंदगी नहीं डालें।

- पानी की, बिजली की बर्बादी नहीं करें।

- बाबू लाल जाजू, पर्यावरणविद्

- कम से कम जीवाष्म ईधन (लकडी, केरोसिन) के समन के उपयोग से वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

- किसी भी सामूहिक कार्यक्रम में ध्वनि कारक यंत्रों के कम एवं दिन के समय में 70 डेसीबल एवम् रात्रि में 55 डेसीबल कम ध्वनि पर चलाने से ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

- प्लास्टिक के उपयोग को कम करने हेतु हमें रोजमर्रा के जीवन से प्लास्टिक को किन्ही अन्य से बदलना होगा जैसे कि प्लास्टिक थैलों की जगह कागज, फाइबर, कपड़े के थैलों के उपयोग से, प्लास्टिक के बर्तनों की जगह मैटल, मिटटी से बने बर्तनों के उपयोग से, भी प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय संबधित समस्याएं कम होगी।

- यात्रा या वाहन चलाते समय लाल बत्ती होने पर वाहन को बंद कर देने से ईधन,वायु,ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

- घरों में नलों के समय-समय पर रखरखाव से बूंद-बंदू कर रिसने वाले पानी से व्यर्थ में बहने वाले पानी को रोककर जल संरक्षण किया जा सकता है!

- ज्यादा से ज्यादा नवीकरणीय उर्जा के साधनों के उपयोग से हम गैर नवीकरणीय उर्जा के साधनों पर कम निर्भर होंगें जिससे बिजली उत्पादन हेतू कोयले का कम उपयोग होगा जिससे प्राकृतिक संसाधनों की बचत के साथ-साथ कोयले के जलने से निकलने वाली हानिकारक गैसों से वायु प्रदूषण में कमी होगी।

- बायोडिग्रेबल कचरे को घर गार्डन में एक छोटा गडडा कर डालने से कचरे का सही निस्तारण व लाभ प्राप्त कर सकते है।

- किसी भी खाली जगह पर कचरा डालने की बजाय निर्धारित जगह पर कचरा डालने से दुर्गन्ध, बिमारियों एवं वायु प्रदूषण से बचा जा सकता है।

- आवश्यकता ना होने पर लाईट बंद रखने से बेवजह विद्युत खपत को रोका जा सकता है।

- विवेक त्यागी, जूनियर मैनेजर, वरदान एनविरोनेट जयपुर

- किसान खेतों में पराली जलाते हैं उस वेस्टओवर से कोई बेस्ट चीज बना सकें जैसे मस्टर्ड हस्क बच जाता था तो हमे उससे बिजली बना रहे है। इससे पर्यावरण भी बच रहा है और बिजली बच रही है। कोयले से बिजली बनती है। यदि हस्क का इस्तेमाल करें तो कोयला भी बचेगा, उससे होने वाला प्रदूषण , खेतों में जो हस्क जलने से पॉल्यूशन होता है वह भी नहीं होगा।

- आम आदमी को अपना माइंड सेट बदलने की जरूरत हैं। जितनी जरूरत हो उतनी ही बिजली का इस्तेमाल करें। जिस वॉलटेज की लाइट चाहिए वह लगवाए। कहीं बाहर जा रहे है तो लाइट आॅन नहीं छोड़ कर जाए।

- गीजर में पानी उतना ही गरम करें जितनी जरूरत हो। पानी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करें।

- आज इस तरह के घर बन रहे हैं जो पुराने समय में बनते थे कच्चे घर, गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहते थे उसी तरह की चीजों पर वपिस आए। कम्फर्ट के अनुसार थोड़ा एडवांस बना सकते है।

- प्रदूषण सिर्फ धुएं से ही नहीं होता बल्कि एनर्जी को रेडिएट करते है, वह भी पर्यावरण को प्रदूष्ति करते है। कई बार किचन में गैस बर्नर को आॅन रखकर एक चीज से दूसरी चीज चेंज करते है इस बीच गैस अनावश्यक जलती रहती है, प्रैस आॅन छोड़ देते है, इन आदतों को बदलना होगा।

- पॉलिथिन को डामर में इस्तेमाल करके रोड बना सकते है। सीमेंट रोड में जितना खर्चा होता है उतना खर्चा करने की जरूरत नहीं है। पॉलिथिन यूज करेगें तो 20 से 25 साल के रोड बनेगें। यह बहुत सफल तकनीक है।

- कोई भी वस्तु खरीदते समय दुकानदार पॉलिथिन की थैली या पॉलिथिन बैग दे तो मना करे तो वह कागज का लिफाफा या कागज का बैग रखना शुरू करेगें। हिमाचल में कोई भी शॉपकीपर पॉलिथिन नहीं देता वहां सब सब्जी खरीदने के लिए कपड़े का थैला लेकर जाते है। इस साल 2023 से सोच लें कि प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे ।

- विवाह समारोह में डिस्पोजेबल आइटम के इस्तेमाल पर कहें कि डिस्पोजेबल इस्तेमाल नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पब्लिसाइज करें तो जागरूकता आएगी।

- नदियों को खोदे नहीं इन्हें खोदेंगे तो घड़ियाल मर जाएगे।

- मेजर विक्रम सिंह, जीएम श्रीराम रेयंस

- घरों के वेंटीलेशन को जितना हवादार बनाएंगे घर के अंदर की बुरी हवा को बाहर जाने में उतनी ही आसानी होगी।

- काफी लोग कुकिंग के समय किचन के धुएं के लिए चिमनी का इस्तेमाल नहीं करते, घर के किचन में चिमनी का उपयोग जरूर करें, ताकि धुंआ घर से बाहर निकल जाए।

- अगर स्वयं का वाहन लेना है तो बैटरी वाले वाहनों का उपयोग करें ।

- घरों में एनर्जी की खपत को कम करने वाले उपकरण लगाए । सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करें। ऐसे यंत्र इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें मेंटीनेंस का खर्च न के बराबर हो।

- दर्शना गांधी, अध्यक्ष, विजयवर्गीय महिला मंडल

वायु प्रदूषण में परिवहन का अहम योगदान है। घर में जितने सदस्य होते हैं सभी के पास व्हीकल होता है कहीं जाना है तो प्लान आऊट करके जाए। घर पास हैं समान संस्था में कार्य करते है कार्यस्थल पर पहुचने के लिए कारपूलिंग का उपयोग किया जा सकता है।

- प्रदूषण रोकने में पेड़-पौधे अहम भूमिका निभाते हैं। कुछ पौधे जैसे सेंसेवियरा ये धूल के महीन कणों (पार्टीकुलेट मैटर) को सोखते हैं इस तरह के पौधे डिवाइडरों व घरों के आस-पास लगाए जा सकते है। ये काफी हद तक वायु प्रदूषण को रोकते है। - जहां काम करते है वह आॅर्गनाइजेशन अगर शहर में पास ही है तो वॉक डाउन करें या साइकिल से जाए।

घर या मंदिर में भगवान पर चढ़ाए गए फूल- माला सूखने पर या बच जाने पर सीधे या प्लास्टिक की थैली सहित पानी में डाल देते है। इस आदत से बचें। इससे पानी दूषित होता है। एक्वेटिक एनिमल्स भी सर्वाइव नहीं कर पाते है। यूट्रोफिकेशन बढ़ने से जलकुंभी फलती-फूलती है वह भी पानी के लिए प्रदूषण है।

- लाउडस्पीकर भी तेज आवाज में चलाना ध्वनि प्रदूषण में आता है। शादी आदि में डीजे लगाते हैं तो उसका वॉल्यूम कम से कम रखना चाहिए, उसे बजाने की अवधि भी कम रखे, कानो को तेज आवाज सहन करने की भी एक निश्चित सीमा होती है। - पेस्टीसाइड्स का मिट्टी में बहुत इस्तेमाल करना मिट्टी को खराब करता है और कई बीमारियां पैदा करता है।

- प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें।

- अपने वाहनों की समय-समय पर नियमित जांच व सर्विस कराते रहें।

-बिजली के उपकरणों का दुरुपयोग भी पर्यावरण पर असर डाल रहा है। इससे क्लाइमेंट चेंज हो रहा है। मौसम का शिफ्टिंग हो रहा है। अनावश्यक बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करें। फ्रिज व एसी जब डिस्पोज आॅफ करते है तो क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस निकलती है वह ओजोन लेकर को डिक्रीट करता है। इससे अल्ट्रावॉयलेट किरणें आती है जो हानिकारक है।

- पानी को कंर्जव करें । वाटर हार्वेस्टिंग का उपयोग करें। प्लांटेंशन को बढ़ावा दें। अगर पेड़ को मजबूरी में काटना पड़ रहा है तो उसकी एवज में प्लांटेशन उतना करें कि पांच पौधे तो उगाने ही है।

- डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष बॉटनी, जेडीबी गर्ल्स कॉलेज, कोटा

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