प्लॉट की सब्जी यूनिट ने कमाए दो करोड़ रुपए, बंपर कमाई

प्लॉट की सब्जी यूनिट ने कमाए दो करोड़ रुपए

Update: 2023-07-24 15:28 GMT
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर गौतम बुद्धनगर प्रथम कॉलोनी में भूखंड का सब्जबाग दिखाने से नगर विकास न्यास को दो करोड़ रुपए की आय हुई है। चौदह हजार से अधिक आवेदन स्वीकार किए। इन आवेदनों के एवज में करीब चौबीस करोड़ रुपए न्यास के फंड में जमा किए गए हैं। हालांकि न्यास प्रशासन का कहना है कि जमा हुए चौबीस करोड़ रुपए में से बाईस करोड़ रुपए लॉटरी के बाद भूखंड से वंचित रहे आवेदकों को लौटाए जा रहे हैं। भूखंडों से वंचित लोगों का कहना है कि जरूरतमंद परिवारों के बजाय वे लोग लॉटरी में चयनित हो गए जिनके पास पूर्व में भूखंड या संपत्ति हैं। उधर, न्यास प्रशासन ने पूरी प्रक्रिया को नियम कायदों के अनुरूप बताया है। इस कॉलोनी के प्रथम चरण में 578 भूखंड आवंटित करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। आवेदन जमा होने के बाद न्यास प्रशासन ने लॉटरी की प्रक्रिया में टालमटोल किया। जब लोगों ने लॉटरी निकालने की मांग को लेकर जयपुर तक शिकायतें की तो आनन-फानन में जोधपुर की निक को लॉटरी प्रक्रिया के लिए अधिकृत कर दिया।
पांच लाख रुपए तक की आय के लिए सिर्फ शपथ पत्र
न्यास प्रशासन ने इस कॉलोनी के भूखंड के लिए आवेदन मांगे गए थे तब सिर्फ पांच लाख रुपए तक आय के संबंध में आय प्रमाण पत्र के लिए सरपंच या वार्ड पार्षद और दो पड़ोसियों के गवाही के तौर पर एक शपथ पत्र लिखकर मांग लिया। इससे अधिक आय के संबंध में इंकम टैक्स रिटर्न या वेतनभोगी को वार्षिक आय का फार्म 16 मांगा। ऐसे में कई लोगों ने पांच लाख रुपए तक की आय के झूठे शपथ पत्र बनवा लिए।
प्लॉट की सब्जी यूनिट ने कमाए दो करोड़ रुपए, बंपर कमाईआवेदकों के शपथ पत्र की जांच तक नहीं
लॉटरी निकलने के बाद आवेदनों की गहनता से जांच के नाम सिर्फ खानपूर्ति करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन न्यास प्रशासन इन आवेदकों की जांच के बजाय आवेदकों से ही शपथ पत्र को सत्यापन की प्रक्रिया बताकर डिमांड नोटिस दे रहा है। न्यास प्रशासन ने आवेदनकर्ताओं की ओर से दिए गए झूठे शपथ पत्र की जांच तक नहीं की। सिर्फ संबंधित एरिया के सरपंच या वार्ड पार्षद की ओर से प्रमाण पत्र को ही आधार माना है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सत्यापन करने के लिए संबंधित तहसीलदार या अन्य सरकारी महकमों से आवेदक की संपत्तियों का ब्यौरा मांगा जा सकता था लेकिन राजस्व के चक्कर में न्यास प्रशासन ने पूरी प्रक्रिया के बजाय शपथ पत्र को ही सच प्रमाण पत्र मान लिया।
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