पिंकसिटी को सिग्नल फ्री करने की योजना हुई फेल, चारों तरफ दिख रहा है जाम

Update: 2023-06-02 14:15 GMT

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार पिछले कई साल से जवाहर लाल नेहरू मार्ग और टोंक रोड समेत पूरे जयपुर को सिग्नल फ्री बनाने के प्रयास कर रही है। लेकिन, पिछले 4-5 साल में जेएलएन मार्ग और टोंक रोड तो क्या जयपुर में कहीं भी सिग्नल फ्री नहीं हो पाया है। यहां तक कि जेएलएन मार्ग में स्थित ओटीएस चौराहा, जेडीए चौराहा, मोतीडूंगरी गणेश चौराहा और शहीद स्मारक चौराहे तो ऐसे हैं जहां वाहन चालकों को काफी समय तक रुकना पड़ता है। एक बार की लाइट में निकलना तो किसी के लिए संभव ही नहीं है। दो-दो लाइटों का इंतजार करना पड़ता है। ओटीएस चौराहे पर तो विद्या आश्रम तक वाहनों की कतारें लग जाती हैं।

दरअसल, नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री की मेहरबानी से जयपुर को सिग्नल फ्री करने का प्रोजेक्ट इंजीनियर्स कंपनी के बजाय आर्किटेक्ट के हाथों में सौंपा हुआ है। आर्किटेक्ट भी स्वयं-भू। जो मीडिया में खुले तौर पर बयान देते हैं कि सरकार ने 500 करोड़ का प्रोजेक्ट करने के लिए उन्हें अधिकृत किया है। कोटा, पुष्कर, अजमेर, जोधपुर, भरतपुर में मंत्री शांति धारीवाल की घोषणा, पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के साथ प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले इनकी बैठकें, समाचार पत्रों में प्रकाशित इनके इंटरव्यू और ना जाने क्या-क्या।

रोचक तथ्य यह है कि सिंडीकेट बैंक लोन घोटाले में कोर्ट से जमानत पर चल रहे इन आर्किटेक्ट को सरकार एक के बाद एक प्रोजेक्ट थमाए जा रही है। रसूखात ऐसे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खासा अनुभव रखने वाली एलएंडटी जैसी कंपनियां भी इनके आगे मात खा रही हैं। अगर कोई कंपनी सफल होती है तो फिर राज्य स्तरीय काम दिलवाने के लिए मंत्री धारीवाल ने अलग गली बना रखी है। इसमें रिस्क बिलकुल नहीं है।

चलो, टेंडर की बात तो छोड़िए। क्योंकि टेंडर प्रक्रिया तो अब केवल कागजी खानापूर्ति रह गई है। अब तो जितना बड़ा नाम, उतना दाम। फिर तुरंत फरमान। चाहे कोटा में हाल ही हुए रिवर फ्रंट का 1000 करोड़ रुपए का सिंगल टेंडर हो या जयपुर में बन रहे देश के सबसे ऊंचे आईपीडी टॉवर की कंसल्टेंसी। सब कुछ इन्हीं को सौंपा हुआ है। इन्हें कंसलटेंट किस प्रक्रिया से चुना गया। इसके लिए टेंडर हुए अथवा नहीं। इसकी जानकारी खुद जेडीए के पास भी उपलब्ध नहीं है।

भारत जोड़ो सेतु पर श्याम नगर मंडी के पास लगता है अक्सर जामः

बात करते हैं कि जयपुर में जेएलएन मार्ग और टोंक रोड पर सिग्नल फ्री यातायात की। जब जेडीए की आंखें खुली तो पता चला कि जो सपने कागज पर दिखाए गए थे, वो हकीकत में जेएलएन मार्ग का बेडा गर्क कर देंगे। समय रहते जेडीए को होश आया और वह काम रद्द कर दिया। कारण आज तक किसी को पता नहीं। लेकिन, क्या करते तब तक टोंक रोड के लिए करोड़ों रुपए का ठेका हो चुका था। काम शुरू हो गया तब समझ में आया कि सांगानेर चौराहे पर 20 मिनट के लिए जाम लग जाएगा। अजमेर रोड पर शाम 5 से 7 बजे भारत जोड़ो सेतु पर भी जाम। यह मजाक नहीं बल्कि सच्चाई है कि करोड़ों रुपए खर्च करके बनाए गए भारत जोड़ो सेतु पर भी सोडाला से अजमेर रोड के बीच तगड़ा जाम लग जाता है। क्या इसे सिग्नल फ्री ट्रैफिक कहेंगे।

रामबाग सर्किल पर जाम लगने से होगी बड़ी दिक्कतः

सिग्नल फ्री ट्रैफिक करने के नाम पर टोंक रोड औऱ जेएलएन मार्ग के लिए 800 करोड़ रुपए की बड़ी राशि स्वीकृत हुई। अब टोंक रोड पर ट्रैफिक प्रताप नगर सांगानेर से टोंक फाटक पर लक्ष्मी मंदिर सिनेमा से होता हुआ रामबाग सर्किल रेड लाइट पर आकर जाम होगा। इसकी बानगी अंडरपास का काम पूरा होने के बाद अगले साल देखने को मिल सकती है। जैसे अभी भारत जोड़ो सेतु पर सोडाला से अजमेर रोड पर देखने को मिल रही है।

दुर्गापुरा फ्लाई ओवर पर बनाए पिलरों का क्या होगा?

दुर्गापुरा फ्लाई ओवर का काम 8 साल में जाकर पूरा हुआ। क्योंकि यहां मेट्रो रूट को भी साथ में डिजाइन करना बाद में तय हुआ। जेडीए ने करोड़ों रुपए खर्च करके यहां मेट्रो पिलर खड़े किए थे। उनकी डिजाइन एवं ऊंचाई का क्या होगा। क्योंकि ताजा प्लानिंग में दो यू-टर्न फ्लाई ओवर होटल बेलाकासा और सांगानेर एयरपोर्ट की बाउंड्रीवॉल के पास बनने हैं। इस फ्लाई ओवर की ऊंचाई की वजह से मानसरोवर की ओर जाने वाला ट्रैफिक चौराहे से घूमने के बजाय यू-टर्न फ्लाई ओवर से मुडकर वापस आएगा।

आश्रम मार्ग की ओर जाने वाला ट्रैफिक क्या लालबत्ती से कंट्रोल हो पाएगा। या इस रोड को ही बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा लक्ष्मी मंदिर तिराहे पर बनने वाले अंडरपास में से बरसाती पानी की निकासी कैसे और कहां करेंगे। इसकी फिजिबिलिटी सुनिश्चित नहीं है। अगर यह पानी भर गया तो रामबाग सर्किल से लक्ष्मी मंदिर तिराहे तक ट्रैफिक जाम के क्या हालात बनेंगे, इसकी कल्पना मात्र से ही रूह कांपने लगती है। एनसीआर के सबसे बड़े शहर गुरुग्राम में भी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। क्योंकि वहां भी बारिश में लगभग सभी अंडरपास पानी से लबालब भर जाते हैं।

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