जीएसटी में शामिल हो पेट्रोल-डीजल, टैक्स में मिले छूट

Update: 2023-01-16 14:23 GMT

कोटा: पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एलपीजी गैस भी आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है। परिवहन पर भी टैक्स की अधिक मार पड़ रही है। जिससे हर वर्ग पीड़ित है। ऐसे में इन व्यवसायों से जुड़े प्रतिनिधियों को सरकार से राहत की उम्मीद है। आगामी वित्त वर्ष के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से इसी महीने बजट पेश किया जाना है। बजट पारित होने से पहले उस पर संसद व विधानसभा में चर्चा की जाएगी। केन्द्र व राज्य सरकार ने आगामी बजट में प्रावधान करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव मांगे हैं। उन पर भी विचार किया जाएगा। ऐसे में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने की मांग की जा रही है। एलपीजी के दामों में कमी होने व परिवहन से जुड़े ट्रांसपोर्टर को टैक्स में रियात मिलने की सरकार से उम्मीद है।

पेट्रोल-डीजल जीएसटी में हों शामिल

सरकार ने सभी वस्तुओंको जीएसटी में शामिल किया हुआ है। लेकिन पेट्रोल-डीजल को अभी तक भी जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। जिससे देश के हर राज्य में पेट्रोल-डीजल के दामों में काफी अंतर है। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में पेट्रोल-डीजल के दाम सबसे अधिक है। जबकि पड़ौसी रा'य गुजरात हो या उत्तर प्रदेश वहां दाम काफी कम है। ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल कर ले तो पूरे देश में दाम एक समान हो सकते हैं। केन्द्र व रा'य सरकार बराबर-बराबर टैक्स का बटवारा सकर सकती है। वहीं जब तक इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया जाता तब तक रा'य सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट को कम करे। राजस्थान में वैट अधिक होने से यहां पेट्रोल-डीजल के दाम अधिक हैं। जबकि यह आवश्यक वस्तु होने से सबसे अधिक उपयोग में आता है। पारदर्शिता होने से इसमें टैक्स चोरी की भी संभावना नहीं रहती है।

- तरूमीत सिंह बेदी, अध्यक्ष, कोटा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन

एलपीजी की बेसिक रेट समान हो

डोमेस्टिक व कमर्शियल एलपीजी गैस के दामों में काफी अधिक बढ़ोतरी हो गई है। साथ ही दोनों की बेसिक रेट में भी काफी अंतर है। डोमेस्टिक सिलेंडर 1074 रुपए का है तो कमर्शियल की रेट 1835 है। दोनों की रेट में अंतर अधिक होने से कई लोग डोमेस्टिक गैस को कमर्शियल में मिलाते हैं। जिससे गैस लीकेज होने पर हादसे होते हैं। यदि एलपीजी की बेसिक रेट समान होगी तो इस तरह की मिलावट व हादसे नहीं होंगे। साथ ही डोमेस्टिक सिलेंडर पर 5 फीसदी व कमर्शियल पर 18 फीसदी जीएसटी लगती है। रेट समान होने के बाद टैक्स में भले ही अंतर हो। इससे सरकार को राजस्व भी मिलता रहेगा और मिलावट भी रूकेगी। इससे लोगों को भी लाभ होगा।

- अरविंद गुप्ता, महासचिव, हाड़ौती एलपीजी डिस्टीब्यूटर्स एसोसिएशन

बसों के टैक्स में मिले 50 फीसदी की छूट

प्रदेश में रोडवेज के समान ही निजी बसों का भी परिवहन में महत्वपूर्ण स्थान है। सरकार को चाहिए कि वह हर जिले में निजी बस स्टैंड बनाए। स्टेट कैरिज व ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली बसों के टैक्स में 50 फीसदी की छूट दे। साथ ही नई चलने वाली बसों का शुरुआत में तीन साल का टैक्स माफ किया जाए। पूर्व में ऐसा होता था लेकिन सरकार ने पिछले साल से इसे बंद कर दिया है। बजट में फिर से इसे लागू करने का प्रावधान हो। वहीं हर साल समय पर टैक्स जमा करवाने वाले बस मालिकों को साल में एक माह के टैक्स को माफ किया जाए। जिससे टैक्स जमा करवाने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसी तरह से नगरीय परिवहन के साधनों को भी बजट में रियायत देने की घोषणा की जानी चाहिए। जिससे ट्रांसपोटर पर आर्थिक भार कम पड़ेगा तो लोगों को किराए में राहत मिलेगी।

- सत्य नारायण साहू, अध्यक्ष, बस मालिक संघ 

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