चित्तौरगढ़। लगातार पड़ रही भीषण गर्मी से लोग परेशान होने लगे हैं। उमस और पसीने की वजह से त्वचा में फंगल इंफेक्शन के साथ-साथ एलर्जी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। सरकारी अस्पतालों में भी चर्म रोग के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टर इस मौसम में त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए ढीले और सूती कपड़े पहनने की सलाह दे रहे हैं। डॉक्टर भी चिंतित हैं क्योंकि लोगों का झुकाव विशेषज्ञों की बजाय झोलाछाप डॉक्टरों की तरफ ज्यादा है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र गर्ग ने बताया कि जिले में उमस भरी गर्मी के साथ ही त्वचा रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
तेज धूप और पसीने से फंगल इंफेक्शन, सनबर्न, स्किन एलर्जी, रैशेज, रैशेज, दाद, खुजली और काले धब्बे की समस्या लेकर मरीज आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर समस्याएं फंगल इंफेक्शन और स्किन एलर्जी से जुड़ी होती हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ ने कहा कि चर्म रोग एक ऐसी चीज है जिसके शुरू होते ही लोगों को विशेषज्ञ से इलाज कराना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। विशेषज्ञ के पास पहुंचने से पहले मरीज झोलाछाप जा रहे हैं, ऐसा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर मरीज पहले डॉक्टर के पास पहुंचे तो यह चर्म रोग बहुत जल्दी ठीक हो सकता है। रोगी चर्म रोग को हल्के में लेता है और अपने पास के किसी भी बंगाली डॉक्टर या मेडिकल की दुकान से सीधे दवा ले आता है। झोलाछाप डॉक्टर बीमारी की प्रकृति को नहीं समझ पाता और इस वजह से बीमारी और बढ़ जाती है। उसके बाद मरीज हम तक पहुंच जाता है फिर उसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इलाज में लंबा वक्त बीत जाता है।