कोटा: राज्य सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांच करते ही एमआरआई जांच के लिए मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। वहीं दोनों अस्पताल के बीच एक ही एमआरआई मशीन होने से मरीजों को न्यू मेडिकल अस्पताल जाना पड़ता है। एमबीएस की पर्ची न्यू मेडिकल अस्पताल में काम नहीं आती है ऐसे में मरीज को एमआरआई के लिए फिर से रजिस्टेशन कराना पड़ता है। एमआरआई कराने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि मरीज का एक दिन कागजों की खानापूर्ति में बीत जाता है उसके बाद उसको मिलती एमआरआई कराने की तारीख। एमआरआई के लिए नए अस्पताल में आउटडोर में आने वाले मरीजों को 15 दिन से लेकर एक माह तक का इंतजार करना पड़ रहा है। सवाल यह है कि ऐसे में मरीजों का समय पर कैसे इलाज हो पाएगा। राज्य सरकार की ओर से 1 अप्रैल से सभी जांचों को नि:शुल्क कर दिया है। जांचों को नि:शुल्क करते ही एमआरआई के लिए मरीजों की लम्बी कतार लग गई है। हालात यह है कि नि:शुल्क करने से पहले मार्च तक रोजाना 25 से 30 एमआरआई होती थी। इसकी संख्या बढ़कर अब 40 से 55 पर पहुंच गई है। बावजूद इसके मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। 23 जनवरी को आए मरीज को 20 फरवरी की तारीख दी जा रही है।
पहले लग था शुल्क, अब नि:शुल्क
राज्य सरकार की ओर से मरीजों के लिए 1 अप्रैल से पूरी तरह से नि:शुल्क उपचार व जांच की व्यवस्था की है। पहले ब्रेन एमआरआई के लिए 2300 व ज्वाइंट के लिए 2700 रुपए लिए जाते थे, लेकिन अब यह राशि सरकार ने मरीजों से लेना बंद कर दिया है। यदि कोई राशि लेता है तो इसकी तत्काल सूचना अधीक्षक को कर सकते है।
एक ही एमआरआई मशीन
एमबीएस अस्पताल में एमआरआई मशीन की सुविधा नहीं है। एमबीएस अस्पताल में डॉक्टर द्वारा मरीज की एमआरआई जांच लिखने पर उसे न्यू मेडिकल चिकित्सालय जाना पड़ता है। वहां गंभीर मरीजों की जांच के लिए घंटो लग जाते है। बिना इमरजेंसी वाले मरीजों को तीन चार दिन आगे तारीख दी जाती है। यहां भी मरीजों को जांच के लिए लगने वाले आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी नहीं होने से एक ही दिन में जांच कराना आसान नहीं है। एमआरआई जांच के लिए मरीजों की सुबह से लंबी कतारे लगना शुरू हो जाती है।
एक दिन में एमआरआई कराना आसान नहीं है। एमबीएस अस्पताल के डॉक्टर द्वारा एमआरआई लिखी पर्ची न्यू मेडिकल अस्पताल में काम नहीं आती है। यहां फिर से गेट नंबर एक पर बने पर्ची काउंटर से पर्ची बनाने के लिए कतार में लगना पड़ता है। यहां उसे एक आधा घंटा लग जाता है। फिर यहां से उसे केस काउंटर पर नि:शुल्क एमआरआई के लिए पर्ची बनानी पड़ती है। यहां भी लगी लाइन में लगने बाद जैसे तैसे पर्ची बनाकर मरीज एमआरआई कक्ष में पहुंचता है वहां मौजूद नर्सिंग कर्मी उसकी रजिस्टर में एंट्री कर आगे की तारीख देता है। कई बार दोनों काउंटर की पर्ची बनाने के बाद भी मरीजों रजिस्टेशन नहीं होता है कारण जिस डॉक्टर ने एमआरआई लिखी उसका अलग से फार्म नहीं भरा होने और उस सील नहीं होने से भी मरीज को एक बार एमबीएस चक्कर एक बार न्यू मेडिकल चक्कर लगाना पड़ जाता है।
जांच रिपोर्ट के लिए करना पड़ता है दो तीन दिन इंतजार
तीमारदार कपील नामा ने बताया कि सरकार ने जब से महंगी जांचे निशुल्क की उसके बाद से सरकारी अस्पताल में जांच और इलाज कराना आसान काम नहीं रहा। सरकार की ओर से जांच के लिए एमबीएस अस्पताल में एमआरआई करना तक आसान नहीं है। यहां कितनी ही इमरजेंसी क्यों दो से तीन घंटे घंटे लगना तो आम बात है। मरीज कितना ही गंभीर क्यों ना हो एक दिन में एमआरआई कराना टेढी खीर साबित हो रहा है। मरीज की पर्ची पर एमआरआई लिखने के बाद से असली परेशानी शुरू होती है। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच मरीज और तीमारदार चक्कर घिन्नी हो जाता है। एमआरआई फार्म पर डॉक्टर सील नहीं है। काउंटर केस पर्ची नहीं है। ये पर्ची नहीं चलेगी नई पर्ची न्यू मेडिकल अस्पताल के गेट नंबर एक बनाकर लाओ ऐसी चीजों से मरीज दोचार होना पड़ता है।
एमबीएस व जेकेलोन में नहीं है मशीन
कोटा संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल व जेके लोन अस्पताल में भी एमआरआई मशीन नहीं है। एमबीएस कोटा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां हाड़ौती भर से मरीज आते है, लेकिन यहां भी एमआरआई मशीन नहीं है। ऐसे में इन दोनों अस्पतालों के मरीजों की एमआरआई भी नए अस्पताल में ही होती है। एमबीएस में नई एमआरआई मशीन के टेंडर हो चुके है लेकिन अभी मशीन स्टॉल नहीं हुई है।
एक मशीन पर सारा भार
सरकारी क्षेत्र में एमआरआई की नए अस्पताल में ही मशीन है। यहां कोटा संभाग भर से मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। सरकार की ओर से नि:शुल्क जांच की सुविधा देने की घोषणा के साथ ही मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इससे एक ही मशीन पर सारा भार आ गया है। ऐसे में गर्मी दिनों में मशीन कई बार जवाब दे चुकी है। गर्मी तो आलम ये था कि पूरे दिन में मशीन दो से तीन बार बंद होती थी। वैसे 12 एसी लगे है उसके बावजूद मशीन गर्म हो जाती थी।
इनका कहना
एमबीएस अस्पताल में नई एमआरआई मशीन लगाने के टेंडर हो चुके है। शीघ्र काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद मरीजों को नये अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे साथ की वेटिंग कम हो जाएगी।
-डॉ. विजय सरदाना, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज कोटा