खौफ में नर्सिंग स्टूडेंट्स: बरसों पुराने हॉस्टल में बिजली के पैनल उखड़े, शॉर्ट सर्किट से करंट का डर

Update: 2022-10-17 14:04 GMT

कोटा न्यूज़: एमबीएस व जेकेलोन अस्पताल में स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले नर्सिंग स्टूडेंटस खुद विभाग की लापरवाही का शिकार हैं। गंदगी और संक्रमण के बीच दिन गुजारने को मजबूर हैं। नयापुरा स्थित करीब 35 साल पुराना राजकीय नर्सिंग हॉस्टल जर्जर हो चुका है। हॉस्टल के चारों ओर बड़े-बड़े झाड़-झंगाड़ उगे हुए हैं, जिनमें जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी से हर पल जान का खतरा बना रहता है। भवन के पीछे गंदा नाला है, जिसकी बरसों से सफाई नहीं हुई। दुर्गंध से जहां विद्यार्थियों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है वहीं खतरनाक बीमारियों के मच्छर पनप रहे हैं। कई स्टूडेंटस बीमार हो चुके हैं। शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है। इतना ही नहीं, हॉस्टल कॉरिडोर में लगे बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। आए दिन स्पार्किंग होने से करंट का खतरा बना रहता है। दरअसल, लंबे समय से हॉस्टल की मरम्मत नहीं करवाई गई। साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं। हॉस्टल परिसर में करीब 11 बिजली पोल लगे होने के बावजूद एक में भी लाइट नहीं जलती। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है।

तरस जाते हैं पानी को...

एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण कुमार जांगिड़ ने बताया कि हॉस्टल में बिजली के बाद पानी की सबसे बड़ी समस्या है। यहां नल कनेक्शन नहीं है, बोरिंग से पानी आता है, जो बिजली पर निर्भर होता है। वायरिंग क्षतिग्रस्त होने से आए दिन स्पार्किंग व शॉर्ट सर्किट की समस्या रहती है। नतीजन, बिजली बंद होते ही पानी की सप्लाई भी ठप हो जाती है। हॉस्टल जर्जर अवस्था में है। लंबे समय से चिकित्सा विभाग की ओर से इसकी मरम्मत नहीं करवाई गई। हॉस्टल के चारों ओर कूड़ा कचरा व गंदगी का ढेर लगा हुआ है। सांप बिच्छुओं का खतरा बना रहता है। वहीं, कमरों के पीछे स्थित नाला सफाई के अभाव में सड़ रहा है। जिनमें डेंगू, मलेरिया, वायरल सहित गंभीर बीमारियों के मच्छर पनप रहे हैं। चिकित्सा विभाग भी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है।

हॉस्टल में 8 कमरें: एसोसिएशन के महासचिव चंद्रप्रकाश बैरवा व वैभव गौतम ने बताया कि हॉस्टल में 8 कमरे हैं, प्रत्येक कमरे में तीन स्टूडेंटस रहते हैं। पहले 25 से ज्यादा स्टूडेंटस रहते थे अब सात विद्यार्थी ही रह रहे हैं। अधिकतर स्टूडेंटस अव्यवस्थाओं के चलते बाहर कमरा लेकर रह रहे हैं। लेकिन, आर्थिक स्थिति से कमजोर विद्यार्थी मजबूरी में यहां रह रहे हैं। हॉस्टल में सुविधाएं विकसित कर विद्यार्थियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी चिकित्सा विभाग की है, पूर्व में स्टूडेंट्स वार्डन व प्रिंसिपल को शिकायत कर चुके हैं इसके बावजूद समाधान नहीं हो रहा।

श्वान व सुअरों का आतंक: सचिव सुरेश मीणा, अमित कुमार का कहना है कि हॉस्टल परिसर में दिनरात आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी श्वान और सुअरों की है। भोजन की तलाश में यह कमरों तक पहुंच जाते हैं। वहीं, रात में हॉस्टल आने-जाने के दौरान काटने को दौड़ते हैं। इस परिसर में कुल पांच हॉस्टल हैं, जिनमें तीन रेजीडेंट्स डॉक्टर्स, गर्ल्स व बॉयज के दो अलग-अलग नर्सिंग हॉस्टल हैं इसके बावजूद यहां रोशनी की व्यवस्था तक नहीं है। सुरक्षा के नाम पर दो गार्ड लगे हुए हैं, जिनमें एक गार्ड रेजीडेंट्स हॉस्टल पीजी-1 में तो दूसरा एएनएम गर्ल्स हॉस्टल के बाहर तैनात रहता है, शेष अन्य हॉस्टल के आसपास कोई गार्ड नहीं है।

शाम ढलते ही हॉस्टल परिसर में अंधेरा: नर्सेज एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गजेंद्र सामरिया व फरहत चिश्ती ने बताया कि जेकेलोन अस्पताल के पीछे स्थित नर्सिंग हॉस्टल परिसर में करीब 11 बिजली के खंभे लगे हैं, लेकिन बल्ब एक में भी चालू नहीं है। शाम ढलते ही पूरे परिसर में अंधेरा हो जाता है। परिसर से लेकर कमरों के पीछे तक बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं। जिनमें बरसाती पानी जमा होने से खतरनाक बीमारियों के लार्वा पनप रहे हैं। वहीं जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी बनी हुई है। लंबे समय से न तो झाड़ियों की कटाई हुई और नहीं सफाई। हालात यह है, बारिश के दिनों में यहां घुटनों तक पानी भरा रहता है। ऐसे में कॉलेज व अस्पताल जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

चोरियों की हो चुकी वारदातें: हॉस्टल परिसर में सुरक्षा गार्ड की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से गत आठ महीने में चोरी की कई वारदातें हो चुकी है। तीन रेजिडेंट डॉक्टरों की तीन बाइक व कई कारों की बैट्रियां तक चुरा ले गए। इतना ही नहीं, इसी परिसर में वैक्सीन भंडार भी संचालित है। जिसकी दीवारों पर लगे तीन एयरकंडीशनर मशीनें भी चोर चुरा ले गए। जिसकी रिपोर्ट नयापुरा थाने में दर्ज है। यहां लगे दो गार्ड शिफ्ट में काम करते हैं। एक दिन में तो दूसरा रात को। लेकिन, परिसर में अंधेरा होने के कारण आने जाने वाले लोगों पर निगरानी नहीं हो पाती।

दीवारों में सीलन, करंट का खतरा: नर्सिंग कर रहे स्टूडेंटस ने बताया कि हॉस्टल की छतें जर्जर हो चुकी है। बारिश में कमरों की छतें टपकती है। दीवारों में सीलिंग रहती है। बिजली पैनल कबूतरों का घोंसला बना हुआ है। तार लूज हो चुके हैं। वहीं दीवारों में अंडरग्राउड हो रही वायरिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे करंट का खतरा बना रहता है। वहीं, बरामदे की छतों के बड़े-बड़े पलास्टर आए दिन गिरता रहता हैं। पूर्व में भी सीलिंग के चलते दीवारों में करंट आने की घटना हो चुकी है।

छतों के प्लास्टर गिर रहे: राजकीय नर्सिंग कॉलेज से जीएनएम कर रहे प्रथम वर्ष के छात्र ने बताया कि चार क्लास अटेंड करने के बाद चार घंटे अस्पताल में डयूटी करते हैं। हॉस्टल में सुविधाओं का आभाव है। दीवारों व छतों का प्लास्टर उखड़े हुए हैं। कमरों का मेंटिनेंस भी छात्र खुद के खर्चें पर करवा रहे हैं। आए दिन छतों का प्लास्टर गिरने की घटनाएं होती है। सीलनभरी दीवारों से उठती दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल होता है। छतों पर पानी की टंकियां नहीं है। बिजली के पैनल खुले पड़े हैं। शोर्ट सर्किट के कारण अक्सर बिजली गुल रहती है। जिससे पानी की सप्लाई बाधित हो जाती है। हमने वार्डन व प्रिंसिपल से भी शिकायत की है, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

यह एएनएम स्टूडेंट्स का हॉस्टल होने के नाते सीएमएचओ व आरसीएचओ के अधीन आता है। हालांकि इसमें जीएनएम के स्टूडेंट्स भी रहते हैं। भवन काफी पुराना होने से समस्याएं तो हैं। हमारी तरफ से मरम्मत कार्य भी करवाए गए हैं। एमबीएस अस्पताल परिसर में जल्द ही नया जीएनएम हॉस्टल बनेगा। जिसके लिए 4 करोड़ 8 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हो चुका है। भवन निर्माण के लिए टैंडर प्रक्रिया चल रही है। अगले वर्ष सुविधायुक्त हॉस्टल बनकर तैयार हो जाएगा। जिसका 180 जीएनएम विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। यहां गर्ल्स व बॉयज दोनों के अलग-अलग हॉस्टल बनेंगे।

- विष्णुदत्त यादव, प्रिंसिपल राजकीय जीएनएम कॉलेज

हॉस्टल भले ही हमारे अधीन है लेकिन प्रिसिंपल के पास भी वहां काम करवाने का अधिकार है। उनके पास भी बजट आता है। फिर भी कोई परेशानी है तो प्रिसिंपल हमें बताएं ताकि कार्ययोजना तैयार कर तुरंत समाधान करवा सकें। वहीं, हॉस्टल परिसर में बिजली व सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था पुख्ता करवाई जाएगी। विद्यार्थियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

-जगदीश सोनी, सीएमएचओ कोटा 

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