अब पशुओं का भी बनेगा आधार कार्ड, टीकाकारण के लिए टैग लगाना अनिवार्य

Update: 2022-12-30 13:56 GMT

कोटा: राज्य सरकार अभी तक आम आदमी को ही पहचान पत्र जारी कर रही थी इसके लिए आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन अब पशुओं को भी पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। इसके लिए पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के टैग बनाए जा रहे हैं, जो बारह अंक के हैं। इसके लिए मात्र पांच रुपए चार्ज लिए जाएंगे। पशुपालन विभाग की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में पशुओं को टीके लगाने के साथ साथ टैग भी बनाए जाएंगे। पहचान पत्र बनने के बाद पशुओं से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी आॅनलाइन उपलब्ध होगी। जिले में केन्द्रीय प्रवर्तित योजना राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया गया है। पशुओं में एफ.एम.ड़ी. के टीकाकरण के साथ मिशन पशु आरोग्य योजना के तहत पशुओं की एक विशिष्ट पहचान के रूप में पशुओं के कान में बारह अंकों का टैग भी लगाना अनिवार्य किया गया है। इसमें पशपालकों को अपने पशुओं के टैग लगाने के साथ पशु चिकित्साकर्मी को अपना आधार कार्ड एवं मोबाइल नम्बर देकर पशु का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

यूं फैलता है यह रोग: बीमार पशु के सीधे सम्पर्क में आने, पानी, घास, दाना, बर्तन, दूध निकलने वाले व्यक्ति के हाथों से, हवा से तथा लोगों के आवागमन से फैलता है। रोग के विषाणु बीमार पशु की लार, मुंह, खुर व थनों में पड़े, फफोलों में बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं। ये खुले में घास, चारा तथा फर्श पर चार महीनों तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन गर्मीं के मौसम में यह बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं। इसके विषाणु जीभ, मुंह, आंत, खुरों के बीच की जगह, थनों तथा घाव आदि के जरिए स्वस्थ पशु के रक्त में पहुंचते हैं। लगभग 5 दिनों के अंदर उसमें बीमारी के लक्षण पैदा करते हैं। मौसम में नमी के कारण पशुओं में यह रोग होता है। यह अक्टूबर से मार्च के बीच तेज गति से फैलता है।

खुरपका व मुंहपका के लक्षण:

- रोगग्रस्त पशु को 104 से 106 डिग्री तक बुखार हो जाता है।

- वह खाना-पीना व जुगाली करना बन्द कर देता है। मुंह से लार बहने लगती है।

- बुखार के बाद पशु के मुंह के अंदर, गालों,जीभ, होंठ तालू व मसूड़ों के अंदर, खुरों के बीच तथा कभी-कभी थनों व आयन पर छाले पड़ जाते हैं।

- छाले-फटने के बाद घाव का रूप ले लेते हैं। इससे पशु को बहुत दर्द होने लगता है।

- घाव व दर्द के कारण पशु खाना-पीना बन्द कर देते हैं जिससे वह बहुत कमजोर हो जाता है।

नो टैग-नो वैक्सीनेशन:

सरकार की गाइड लाइन के अनुसार यदि किसी पशु के टैग नहीं है तो उसका टीकाकरण नहीं किया जाएगा। टीकाकरण के लिए पशु का टैग होना जरूरी है। कोटा जिले में करीब ढाई लाख गौवंश और भैंसवंश हैं। अभियान के तहत इन पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। इसके लिए जिले में अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक 20 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। शेष बचे पशुओं का टीकाकरण भी अभियान में किया जाएगा। टैग लगने के बाद पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान नि:शुल्क करवाया जा सकता है। इसके साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा।

जिले में गौवंश व भैंस में टीकाकरण किया जा रहा है। अब तक 20 मवेशियों के टीके लगाए जा चुके है। पूर्व में लंपी वायरण के कारण टीकाकरण नहीं हो पाया था। शेष लक्ष्य को जल्द पूरा किया जाएगा। टीकाकरण से पहले टैग लगवाना अनिवार्य है। इस सम्बंध में पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र पर सम्पर्क कर सकते हैं।

- चम्पालाल मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग कोटा

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