भरतपुर के केवलादेव पार्क में पेड़ों के कटान पर नोटिस

मैनेजमेंट प्लान के तहत बनाए कच्चे रास्ते और तालाब निर्माण में स्थानीय प्रजातियों के पेड़ और झाड़ियां काटी गई थीं.

Update: 2024-05-10 08:33 GMT

भरतपुर: साल 2023 में भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में पेड़ों के पातन के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संज्ञान लिया है. यहां मैनेजमेंट प्लान के तहत बनाए कच्चे रास्ते और तालाब निर्माण में स्थानीय प्रजातियों के पेड़ और झाड़ियां काटी गई थीं. आगरा के पर्यावरणविद् डॉ. केपी सिंह ने याचिका दायर की थी. इस पर एनजीटी ने राजस्थान सरकार सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस दिया है. एनजीटी पीठ ने पक्षकार के रूप में प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव वार्डन राजस्थान, टीटीजेड सदस्य, सचिव और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी शामिल किया है.

साल 2023 में घना के करीब वर्ग किलोमीटर में फैले केवालदेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास करीब किलोमीटर क्षेत्र में कच्ची सड़क और तालाबों का निर्माण किया गया था. सड़क और तालाब निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ व झाड़ियों को काट दिया गया था. इसमें देशी कदम, देशी बबूल, पीलू, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ व झाड़ियां शामिल थीं. पूरा मामला संज्ञान में आने के बाद आगरा के पर्यावरणविद् डॉ. केपी सिंह ने 16 जून 2023 को ताज ट्रिपेजियम जोन के चेयरमैन को लिखित शिकायत की. लेकिन, उक्त प्रकरण में कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद उन्होंने 10 अगस्त-2023 को एनजीटी में याचिका दायर की थी. उनकी याचिका पर एनजीटी के अध्यक्ष न्यायूमर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई की. उन्होंने आदेश में कहा है कि याचिका ने ‘पर्यावरण मानदंडों के अनुपाल के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. पीठ ने उपरोक्त उत्तरदाताओं को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है. पीठ ने आगे की कार्रवाई के लिए सेंट्रल जोन बेंच भोपाल के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया था.

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