भरतपुर न्यूज़: दिवंगत पिता के बकाया कर्ज के चलते बेटे की एनओसी रोकने वाले बैंक को अब 25 हजार रुपए हर्जाना देना होगा। यह आदेश स्थाई लोक अदालत ने बेटे की अर्जी पर दिया है। साथ ही बैंक को एनओसी भी जारी करनी होगी। दरअसल बेटे ने अपने खातों का कर्ज चुका दिया। बैंक ने यह कहते हुए एनओसी देने बेटे के सामने दिवंगत पिता का बकाया कर्ज भी चुकाने की शर्त रख दी थी।
बेटे ने अपना कर्ज ब्याज सहित चुका दिया। लेकिन बैंक ने यह कहते हुए एनओसी जारी करने से इंकार कर दिया कि उसके पिता नदबई के मिल्कीपुरा निवासी धर्मवीर सिंह जाट ने अपने पिता अमरसिंह के साथ एचडीएफसी बैंक में केसीसी के संयुक्त खाताधारी थे। उनके पिता की मौत हो गई। उन्होंने तीनों संयुक्त खातों की बकाया रकम ब्याज सहित जमा करा दी। इसके बावजूद बैंक ने नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया।
इस पर उन्होंने अपने अधिवक्ता माधोसिंह मदेरणा के माध्यम से स्थाई लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत के तलब करने पर बैंक ने दलील दी कि प्रार्थी ने संयुक्त खातों पर ऋण अनुबंध किया था। जिसमें यह शर्त थी की किसी अन्य ऋण अनुबंध में भी ऋणी, सहऋणी या गारंटर है तो सभी कर्जों की अदायगी नहीं होने तक एनओसी का अधिकारी नहीं है। प्रार्थी के पिता ने दो अन्य पर्सनल लोन ले रखे थे।