कोटा न्यूज़: शहर में जग-जगह हो रहे अतिक्रमण के ये दृश्य तो उदाहरण मात्र हैं उस समस्या को बताने के लिए जो दीमक की तरह शहर को अपनी चपेट में ले रही है। शहर का कोई क्षेत्र या जगह ऐसी नहीं है जहां अतिक्रमण नहीं हो रहा है। नगर निगम का क्षेत्र हो या नगर विकास न्यास का। जिम्मेदार अधिकारी देखकर भी उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। नतीजा एक को देख दूसरा और दूसरे से तीसरा हालत यह है कि शहर में अतिक्रमणों की बाढ़ सी आ गई है। उस बाढ़ में परेशानी आमजन को भुगतनी पड़ रही है।
कॉलोनी अछूती है न मैन रोड: शहर में अतिक्रमण करने का चलन सा बन गया है। जिसे जहां जगह मिल रही है वह उसे अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर उस पर कब्जा व अतिक्रमण कर रहा है। जिस तरह से सरकारी विभागों में काम के नाम पर सेवा शुल्क के रूप में रिश्वत को अधिकार समझकर लिया जा रहा है। वह भी पहले जहां कम राशि में ली जाती थी वह अब लाखों में पहुंच गई है। उसी तरह से अतिक्रमण पहले छोटे स्तर पर होता था अब उसका स्तर भी बढ़ गया है। शहर की पॉश कॉलोनी तलवंडी हो या राजीव गांधी नगर, इंद्र विहार हो या जवाहर नगर, दादाबाड़ी हो या बसंत विहार या फिर खेड़ली फाटक या स्टेशन क्षेत्र के माला रोड स्थित कॉलोनियां। सभी जगह पर लोगों ने अपने घरों से आगे कई-कई फीट सड़क पर रैम्प, गार्डन, पार्किंग व पॉर्च के नाम पर अतिक्रमण कर रखा है। जिसके बारे में संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी भी है लेकिन कार्रवाई कोई नहीं कर रहा। यही हालत मेन रोड के अतिक्रमण की है। विकास व सौन्दर्यीकरण के नाम पर मेन रोड पर इतना अधिक अतिक्रमण हो गया है कि उसे हटा पाना मुश्किल होता जा रहा है। नगर विकास न्यास द्वारा करोड़ों रुपह खर्च कर फुटपाथ बनाए जा रहे हैं। जिससे पैदल चलने वाले उनका उपयोग कर सके और ट्रैफिक से बचकर सुरक्षित निकल सके। लेकिन वहां अतिक्रमण करने वाले मौज कर रहे हैं और आमजन हादसों का शिकार हो रहे हैं।
बाजारों तक में जगह नहीं: शहर के बाजारों की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। फर्नीचर मार्केट हो या गुमानपुरा का व्यस्त मार्केट। बसंत विहार का मार्केट हो या सब्जीमंडी का। हर जगह पर दुकानदारों ने अपनी दुकान के आगे फुटपाथ और अब तो सड़क तक पर अपने सामान डालकर उसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है। सब्जीमंडी में जेपी सर्किल मार्केट की हालत इतनी अधिक खराब है कि वहां संदूक वालों ने सामान काफी आगे तक बिखेर रखे हैÞ। वहीं ठेले वाले खड़े हैं और उसके पास बस व अन्य वाहन। ऐसे में लोगों को निकलने के लिए रास्ते के नाम पर सिर्फ छोटे से गलियारे का सहारा लेना पड़ रहा है। जबकि पूर्व में वहां से अतिक्रमण हटाने पर वह रोड काफी चौड़ा दिखाई देता था।
फ्लाई ओवरों के नीचे अतिक्रमण की बहार: नगर विकास न्यास ने शहर में यातायात को सुगम बनाने का दावा करते हुए करोड़ों रुपए खर्च कर फ्लाई ओवर बनाए। लेकिन उनके नीचे अतिक्रमण करने वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। गुमानपुरा स्थित फ्लाई ओवर हो या अनंतपुरा का फ्लाई ओवर। सिटी मॉल के सामने की एलिवेटेड रोड हो या विज्ञान नगर का फ्लाई ओवर। रंगपुर का आरओबी हो या छावनी का फ्लाई ओवर। हर जगह पर अतिक्रमण कर थड़ियां लगा ली है। मिस्त्रीे गाड़ियां सुधार रहे हैं। अतिक्रमी सरकारी जमीन पर कब्जा कर चांदी कूट रहे हैंÞ और यूआइईटी के अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं।
यूआईटी की जमीन व योजनाओं में भी अतिक्रमण: शहर के बीच और शहर से दूर नगर विकास न्यास की जमीन और आवासीय योजनाओं तक में अतिक्रमण हो रहा है लेकिन न्यास अधिकारी उस पर कार्रवाई तक नहीं कर रहे हैं। विनोबा भावे नगर, रंगबाड़ी रोड, श्रीनाथपुरम् व आर.के. पुरम् समेत कई जगह पर यूआईटी की जमीनों पर कच्ची टापरियां बनाकर अतिक्रमण किया हुुआ है। वहीं यूआईटी की मुकुन्दरा विहार स्पेशल आवासीय योजना में भी कई लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। जिसकी यूआईटी में सचिव से शिकायत भी की जा चुकी है। लेकिन लोगों को सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है कार्रवाई नहीं की जा रही। जिससे लोगों में आक्रोश है।
जनता की सुविधा पर नहीं ध्यान: शहर के जिम्गेदार विभागों का आमजन की सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं है। मेन रोड व बाजारों में अतिक्रमण से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अधिकारी उसे देखकर अनदेखा कर रहे हैं। जिससे अतिक्रमण करने वालों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं। - अमर वर्मा, खेड़ली फाटक
यूआईटीे ने करोड़ों रुपए खर्च करके रंगपुर में फ्लाई ओवर व आरओबी बनाए। लेकिन उनके नीचे अतिक्रमण हो गए। यूआईटी अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं करने से लोगों के हौंसले बुलंद होने से अतिक्रमण की संख्या बढ़ती जा रहीे है। - नमन सोलंकी, स्टेशन
सड़क किनारे मीन रोड पर हो रहे अतिक्रमण से रास्ते संकरे होते जा रहे हैं। वाहनों को निकलने की जगह तक नहीं मिल रही है। जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। शहर में कॉलोनी से लेकर मेन रोड तक पर अतिक्रमण होने के बाद भी अधिकारियों की आंख नहीं खुल रही है। जब कोई हादसा या दुर्घटना होगी उसके बाद उनकी कुम्भकर्णी नींद खुलेगी। - जितेन्द्र सेन, महावीर नगर