निकिता दीदी ने कहा- भाई को बहन को उपहार में एक बुराई छोड़ने का वचन देना चाहिए
बूंदी। बूंदी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से ब्रह्माकुमारी शुक्रवार को सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम व वात्सल्यधाम-आसरा) पहुंची। उन्होंने आश्रम में रहने वाले वृद्धजनों के रक्षाबंधन के पावन पर्व के उपलक्ष्य में रक्षासूत्र बांधे। ब्रह्माकुमारी निकिता दीदी ने रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा, हर वर्ष की तरह इस बार भी रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया जाएगा। घर-घर में बहने और भाई इस दिन मुख मीठा करेंगी। यदि बहन भाई से अलग किसी दूसरे शहर में रहती होगी, तो भी अपने भाई के पास रक्षासूत्र भेजकर अपने पवित्र स्नेह को प्रकट करेगी। इस त्योहार को लोग प्राय: या तो खुशी की रस्म के तौर पर मान लेते हैं या बहन-भाइयों के मिलने जुलने का अवसर मात्र समझते हैं या वे इसे भाइयों को यह याद दिलाने का अवसर मानते हैं कि वह बहनों की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, लेकिन हमें विचार करना चाहिए कि क्या इस त्योहार का यही और इतना ही महात्म्य है?
देवभूमि, तपोभूमि, पुण्यभूमि भारत के हर त्योहार के पीछे उच्च आध्यात्मिक आदर्श है। क्या रक्षाबंधन भाइयों को यही याद दिलाने के लिए है कि भाई बहन की रक्षा करें? पहली बात रक्षा भी केवल शरीर की ही नहीं होती, बल्कि अधिकारों की रक्षा, धर्म की रक्षा, संस्कृति की रक्षा होती है। किसी को आतंक से बचाना भी रक्षा करना है। दूसरी बात आम बोलचाल में तिलक को टीका भी कहा जाता है। रोगी को डॉक्टर इंजेक्शन लगाते हैं उसे टीका भी कहा जाता है। ब्रह्मकुमारी बहनों ने कहा कि बहन भाइयों से उपहारस्वरूप कोई भी बुराई जो उनको दुखी करती है, उसे बहन को उपहार में देने के लिए कहा, ताकि दुआ करें कि सदा के लिए आप इस बुराई से मुक्त हो जाएंगे। इसमें निकिता दीदी, ईशा दीदी, आशा दीदी, ब्रह्माकुमार खुशराज, सुदामा सेवा संस्थान अध्यक्ष राघव शर्मा, पद्माकर पाठक राजेंद्र शर्मा, सुरेश शर्मा, ओमप्रकाश जैन और वृद्धजनों को ब्रह्मकुमारी बहनों ने रक्षासूत्र बांधा।