चिकित्सा विभाग की लापरवाही: जान बचाने वाली एंबुलेंस ही ले रही अब जान

Update: 2023-03-31 14:31 GMT

कोटा: कोटा शहर में चिकित्सा विभाग की अनदेखी के चलते मरीजों की जान सांसत में है। एंबुलेंस संचालक उनकी जान संकट में डाल रहे हैं। स्थिति यह है कि शराब के नशे में चालक एंबुलेंस चला रहे हैं और जिम्मेदार विभाग को पता होने के बाद भी ऐसे चालक की सेवाएं ली जा रही है। गुरुवार को सरकारी एंबुलेंस के ड्राइवर ने बाइक सवार पति-पत्नी और दादी-पोते को कुचल दिया। हादसे में दंपती सहित तीन की मौत हो गई। हादसा कोटा के गुमानपुरा फ्लाई ओवर पर गुरुवार सुबह 11.30 बजे हुआ। हादसे के समय ड्राइवर नशे में था। दरअसल शहर में डाढ देवी और यूआईटी आॅडिटोरियम में दो एंबुलेंस जानी थी। हादसे से कुछ समय पहले ही कंट्रोल रूम पर बात हुई थी। यूआईटी आॅडिटोरियम में सुरेंद्र को एंबुलेंस ले जानी थी। स्टाफ ने जब बताया कि वह नशे में है तो उसे मना कर दिया और किसी दूसरे ड्राइवर को भेजने को कहा। सुरेंद्र नहीं माना और एंबुलेंस ले गया। आखिर उसकी गलती से तीन जनों की मौत हो गई। कोटा में एंबुलेंस से इस प्रकार ये हादसा पहला नहीं है। इससे पहले भी 108 एंबुलेंस कई मरीजों की जान जोखिम में डाल चुकी है।

प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होती

कोटा जिले में संभाग के दो बड़े अस्पताल होने और मेडिकल कॉलेज होने से संभाग के बड़ी संख्या में मरीज रेफर होकर यहां आते हंै। शहर में करीब 250 निजी एंबुलेंस और 108 एंबुलेंस की संख्या 20 है। जबकि 104 एंबुलेंस की संख्या 15 है। इसके अलावा बड़ी संख्या में बिना रजिस्ट्रेशन की एंबुलेंस भी कोटा शहर में संचालित हो रही है, लेकिन इनकी प्रभावी मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं है। क्योंकि, अधिकांश एंबुलेंस निजी और सरकारी अस्पतालों के बाहर खड़ी होती है। नियमानुसार इनकी मॉनिटरिंग अस्पताल प्रशासन को करनी होती है, लेकिन ये सीएमएचओ के अधिकार क्षेत्र में होने की बात कह कर पल्ला झाड़ देते हैं। उधर, सीएमएचओ भी अपने अधिकार क्षेत्र में होने की बात से इन्कार करते हैं। बताया जाता है कि सीएमएचओ के नियंत्रण में 35 एंबुलेंस है। इनमें 108 एंबुलेंस की संख्या 20 है। जबकि, 104 एंबुलेंस 15 है।

निजी एंबुलेंस में जरूरी उपकरण तक नहीं

एंबुलेंस चालक राम किशोर ने बताया कि शहर में करीब 250 अधिक निजी एंबुलेंस रोड पर दौड़ रही है। आधी से ज्यादा तो बिना आरटीओं में रजिस्टेशन वाली है। अधिकांश एंबुलेंस में जरूरी उपकरण भी नहीं है। एंबुलेंस में आॅक्सीजन, ईसीजी मॉनीटर, स्पाइनल बोर्ड, ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर होने चाहिए, लेकिन ऐसे गिनती की एंबुलेंस में है। सरकारी में तो फिर भी जरूरी उपकरण हैं। निजी में आधे से अधिक उपकरण नहीं है। जिसके चलते मरीजों की जान संकट में डाली जा रही है। ऐसा भी नहीं है कि एंबुलेंस संचालकों द्वारा मरीजों को फ्री सेवाएं दी जा रही हो। मरीजों के परिजनों से पूरा किराया वसूला जा रहा है। इसके बावजूद भी एंबुलेंस में जरूरी उपकरण नहीं रखते। ऐसे में मरीज को इन उपकरणों की जरुरत पड़ जाए तो अनहोनी से इनकार नहीं कर सकते हैं। पिछले साल बोरखेड़ा पुलिया पर एक एंबुलेंस खराब हो गई थी। जिसके चलते गर्भवती महिला को दिक्कत हुई थी। ऐसे मामलों पर भी चिकित्सा विभाग ने सबक नहीं लिया है।

सीएचसी की एंबुलेंस का उपयोग हो रहा वीआईपी मूवमेंट में

जिस एंबुलेंस से यह हादसा हुआ। यह विज्ञान नगर सीएचसी के लिए विधायक संदीप शर्मा द्वारा विधायक कोष से उपलब्ध कराई थी। लेकिन विज्ञान नगर सीएचसी के पास चालक की सुविधा नहीं होने से इसको स्वास्थ्य भवन में खड़ा कर रखा था। जब भी शहर में बड़े राजनेता या मंत्री का दौरा होने पर उसकी सुरक्षा बेडे में इसका उपयोग हो रहा था। एमबीएस पर कॉल आने पर ये मरीजों के लिए भी उपलब्ध थी। इस सब में खास बात यह है कि चिकित्सा विभाग के पास वर्तमान में ये एक मात्र एंबुलेंस थी जो वीआईपी और मंत्री दौरे में काम आ रही थी। बाकी सारी एंबुलेंस 108 बेडे में चली गई है। इस एंबुलेंस का संचालन अधिकांश शराब के नशे में रहने वाले चालक सुरेंद्र द्वारा ही किया जाता है। सीएमएचओ डॉ. जगदीश कुमार सोनी का कहना है कि विभाग उसको जब शराब नहीं पीता है तब ही गाड़ी चलाने के लिए देता है। लेकिन यक्ष प्रश्न है कि जब चालक शराब का नशा करता है उसको विभाग ने निलंबित क्यों नहीं किया। विभाग वीआईपी दौरे तक में ऐसे शराबी चालक से एंबुलेंस चलवा कर लोगों की जान सांमत में डाल रहा है।

इनका कहना

कोटा जिले में 108 एंबुलेंस की संख्या 20 है। सभी एंबुलेंस चालकों की स्वास्थ्य की जांच करने के बाद एंबुलेंस संचालन की लिए दी जाती है। किसी नर्सिंग कर्मी या ड्राइवर द्वारा शराब पीकर वाहन चलाने की शिकायत आने पर तुरंत दूसरी एंबुलेंस भेंजते है। साथ में उस चालकों को आॅफ लाइन कर उसकी सेवाएं समाप्त करने का नियम है। अभी तक ऐसी शिकायत नहीं आई है। 108 संचालन के दौरान प्रभावी मॉनिटरिंग की जाती है।

-देवकीनंदन नागर, 108 एंबुलेंस प्रभारी कोटा

शहर में डाढ देवी और यूआईटी आॅडिटोरियम में दो एंबुलेंस जानी थी। हादसे से कुछ समय पहले ही कंट्रोल रूम पर बात हुई थी। यूआईटी आॅडिटोरियम में सुरेंद्र को एंबुलेंस ले जानी थी। स्टाफ ने जब बताया कि वह नशे में है तो उसे मना कर दिया और किसी दूसरे ड्राइवर को भेजने को कहा। ड्राइवर को मना करने के बाद भी वह जबरदस्ती एंबुलेंस लेकर गया था। एंबुलेंस में नर्सिंग स्टाफ नहीं था। वह शराब के नशे में भी था और अब उसके खिलाफ कानूनी और विभागीय दोनों कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. जगदीश कुमार सोनी सीएचएचओ कोटा

विभाग की घोर लापरवाही, कलक्टर से करेंगे शिकायत, सीएमएचओं से लेंगे जानकारी

ये दुखद घटना है। चालक की लापरवाही से तीन लोगों की जान चली गई। विज्ञान नगर सीएचसी क्षेत्र की सुविधा के लिए दी गई एंबुलेंस को स्वास्थ्य भवन में क्यों संचालन किया जा रहा है। एंबुलेंस का संचालन जनता उपयोग के लिए दी गई थी। चिकित्सा विभाग की ये घोर लापरवाही है कि सरकारी चालक का शराब पीकर वाहन चलाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे चालक को पहले ही निलंबित कर दिया जाता तो ऐसा हादसा टल सकता था। इस बारें कलक्टर व सीएमएचओ से बात करेंगे।

-संदीप शर्मा, विधायक दक्षिण

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