अजमेर: अजमेर आनासागर झील सैकड़ों देशी-प्रवासी पक्षियों का घरौंदा है। यहां कई पक्षियों की प्रजातियां प्रजनन करती हैं। झील में पहले ही नौकायन, कचरा और गंदगी जैव विविधता पर असर डाल रही है। अब क्रूज संचालन से जलीय-जीव जंतुओं और वनस्पति पर संकट बढ़ाने की तैयारी हो गई है। पक्षी नहीं चाहते कोई हलचल देशी अथवा प्रवासी पक्षी शांत झील, तालाब-बांध में आश्रय स्थल बनाते हैं। कोई हलचल-शोर-शराबा होने पर वे स्थान परिवर्तन कर लेते हैं। आनासागर में इस साल नवम्बर से मार्च तक प्रवासी पक्षियों की कम आवक हुई। यह झील में बढ़ते प्रदूषण, नौकायन और मानवीय हलचल बढ़ने से हुई है।
वनस्पति-जलीय-जीव जंतुओं को नुकसान
एसपीसी-जीसीए के बॉटनी शिक्षक प्रो. मनोज यादव ने बताया कि जलाशयों में किसी भी प्रकार की मानवीय हलचल से वनस्पति-जलीय-जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचता है। आनासागर झील में जलकुंभी बढ़ने, प्रदूषण, कचरे और गंदगी से घुलनशील ऑक्सीजन की कमी हुई है। नौकायन और अन्य गतिविधियों से छोटे जलीय जीव-जंतुओं का जीवन चक्र प्रभावित हो रहा है। झील के किनारों पर दिखने वाली वनस्पतियां खत्म हो गई हैं।
बनाया है बर्ड पार्क
आनासागर झील में कई वर्षों तक वैशाली नगर, पुष्कर रोड, आनासागर लिंक रोड और आस-पास के इलाके में पक्षियों के लिए प्राकृतिक वेटलैंड मौजूद था। आबादी क्षेत्र बढ़ते ही यह वेटलैंड लगभग खत्म हो गए। इस इलाके में अब बर्ड पार्क बनाया गया है।
पचास से अधिक प्रजातियों की आवाजाही
आनासागर झील में स्पॉट बिल डक, आईबिस, कॉमन मैना, परपल ग्रे हेरॉन, इग्रेट (व्हाइट ग्रे), मूरहेन, मैलार्ड, कॉमन टील, रफ, किंगफिशर, स्पून बिल, स्पॉट बिल्ड डक, नॉर्दन शॉवलर सहित 50 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों की आवाजाही होती है। कुछ प्रजातियां तो यहां स्थायी रूप से रहती हैं। गर्मियों में स्पॉटबिल डक, कॉमन मैना मूरहेन प्रजनन करती हैं।