कोटा: गत 7 मई को कोटा को सिन्थेटिक ट्रेक की सौगात मिली है जो शहर के खिलाड़ियों, जिला संघ के सदस्यों और शहरवासियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे संभाग के खिलाड़ियों के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। कोटा का ये टेÑक राज्य का 5वां सिन्थेटिक ट्रेक है। इस सिन्थेटिक ट्रेक को लेकर कुछ पूर्व खिलाड़ियों और वर्तमान कोच सहित एथलेटिक्स संघ के सदस्यों ने उपयोग में लेते समय काफी सावधानी और तकनीकी जानकारी की बात कही है तभी इस ट्रेक को सुरक्षित रखा जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे आम जनता केवल घूमने का ट्रैक नहीं समझें। इससे उनको शारीरिक परेशानी हो सकती है। इस सिन्थेटिक ट्रेक पर आज लोग घूम रहे है तो गद्दों को कारण भले ही ठीक लग रहा है लेकिन वे इस बात को नहीं समझ रहे कि उनके पैरों पर ज्यादा जोर पड़ रहा है। इससे पैर अकड़ सकते हैं। शरीर टाइट हो सकता है। इस सिन्थेटिक ट्रेक पर कोई चप्पलों में तो कोई नंगे पैर ही घूम रहा है जबकि सच्चाई तो ये है कि खिलाड़ी तक को भी इस ट्रेक पर खास मौकों पर ही दौड़ना या अभ्यास करना चाहिए। काफी मेहनत और प्रयास के बाद कोटा को सिन्थेटिक टेÑक की सौगात मिली है। जो कि हाड़ौती का प्रथम व राजस्थान का पांचवा नम्बर का है। ये तय है कि इस टेÑक के बनने के बाद शहर सहित संभाग के एथलीटों को अभ्यास करने में कोई समस्या नहीं आएगी। खिलाड़ी राष्टÑीय और अन्तरराष्टÑीय प्रतियोगिताओं में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। इनका कहना हैं कि इस ट्रेक की बात करें तो ये काफी महंगा ट्रेक है और प्रशासन और संबंधित एजेन्सी को चाहिए कि इस ट्रेक की संभाल अच्छे से करें। शहर में इस ट्रेक की उपलब्धता बहुत अच्छी बात है परन्तु इसको संभालने की आवश्यकता भी बहुत है। कई लोगों को इस ट्रेक पर अभ्यास करने की पूर्ण जानकारी नहीं है। यह ट्रेक नियमित घूमने या दौड़ने के लिए नहीं है बल्कि प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए उपयोगी है। इस ट्रेक पर बिना जाने ट्रेनिंग करने से घुटने में दर्द की समस्या व पैरों की मांसपेशियों में खिचाव व चोटिल होने की समस्या हो सकती है। सिन्थेटिक ट्रेक पर अभ्यास करने से पूर्व यह सभी खिलाड़ियों और लोगों को जानकारी होनी चाहिए कि वह जब ही इस पर दौड़े जब वह कोई कोच व जानकार की देखरेख में अभ्यास कर रहे हो नहीं तो चोट का शिकार भी हो सकता है। ये लोग कहते हैं कि सिन्थेटिक टेÑक के गुण-दोष को लेकर बात करने के साथ ही इस बात को नहीं भुलाया जा सकता कि ये कोटा को एक बहुत ही अभूतपूर्व सौगात मिली है। जिसके लिए लोकसभा अध्यक्ष बिरला और यूडीएच मंत्री धारीवाल का जिला एथलेटिक्स संघ व संभाग के सभी खिलाड़ी आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हमे अपने इस टेÑक को अचछी जरह से संभालने की आवश्यकता है। सात करोड़ की लागत से बनने वाले इस टेÑक को हर हाल में संभालकर और सुरक्षित रखने की आवश्यकता है और इस बात का ध्यान ना शहरवासियों बल्कि ट्रैक पर जाने वाले खिलाड़ी को भी रखना होगा।
इनका कहना हैं...
इस सिन्थेटिक ट्रेक पर आज लोग घूम रहे है तो गद्दों को कारण भले ही ठीक लग रहा है लेकिन वे इस बात को नहीं समझ रहे कि उनके पैरों पर ज्यादा जोर पड़ रहा है। मुझे कईयों ने कहा है कि हमारे पैर अकड़ चुके हैं। शरीर टाइट हो रहा है। इस सिन्थेटिक ट्रेक पर कोई चप्पलों में तो कोई नंगे पैर ही घूम रहा है जबकि सच्चाई तो ये है कि खिलाड़ी तक को भी इस ट्रेक पर खास मौकों पर ही दौड़ना या अभ्यास करना चाहिए।
- खजान सिंह, राष्ट्रीय खिलाड़ी।
इस ट्रेक की सार्थकता कोटा में तभी होगी जब यहां अभ्यास करने वाले राष्टÑीय व अन्तरराष्टÑीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर शहर का नाम रोशन करें ताकि खेलों के लिए सकारात्मक वातावरण बन सकें।
- राकेश शर्मा, सचिव, जिला एथलेटिक्स संघ, कोटा।