पचपहाड़ निवासी नाजिया अपने गांव की बनेगी पहली डॉक्टर

शिक्षा नगरी कोटा (Kota) कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही है.

Update: 2021-11-18 14:55 GMT

जनता से रिश्ता। शिक्षा नगरी कोटा (Kota) कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही है. जिनके माता-पिता सक्षम नहीं थे. इन गुदड़ी के लालों को कोटा की कोचिंग (Kota Coaching) ने संबल दिया और अब वे अच्छे मेडिकल संस्थानों में प्रवेश करेंगे. ऐसी ही एक बालिका नाजिया है. जिसके पिता इसामुद्दीन ऑटो चलाते हैं और वह अब नीट यूजी 2021 में सेलेक्ट हुई है.शिक्षा नगरी कोटा कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही है. जिनके माता-पिता सक्षम नहीं थे. इन गुदड़ी के लालों को कोटा की कोचिंग ने संबल दिया और अब वे अच्छे मेडिकल संस्थानों (medical college in Kota) में प्रवेश करेंगे. ऐसी ही एक बालिका नाजिया है. जिसके पिता इसामुद्दीन ऑटो चलाते हैं और वह अब नीट यूजी 2021 में सेलेक्ट हुई है. जिसके बाद एमबीबीएस (MBBS) अब वह करेगी नाजिया मूलतः झालावाड़ के पचपहाड़ (Pachpahar first doctor) की रहने वाली है. नाजिया अपने गांव की पहली डॉक्टर होगी.

नाजिया का परिवार झालावाड़ जिले के भवानीमंडी के निकट पचपहाड़ गांव में रहता है. पिता भवानीमंडी में लोडिंग टेंपो चलाकर परिवार का खर्च उठाते हैं. टेम्पो लॉन पर लिया हुआ है. परिवार की विपरीत होने की स्थिति में मां अमीना बी भी दूसरे के खेतों में मजदूरी करती हैं. तीन भाई-बहन हैं. छोटी बहन ने अभी 12वीं पास की है, भाई 10 वीं में है. नाजिया ने 8वीं तक गांव में ही पढ़ी, इसके बाद 9 से 12वीं तक भवानीमंडी के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. स्कूल जाने के लिए रोजाना 5 किलोमीटर साइकिल लेकर जाती थी. यह साइकिल सरकार ने दी थी.
कोटा के एक कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि नाजिया के परिवार की स्थिति देखते हुए फीस में 75 प्रतिशत की छूट दी गई. नाजिया ने नीट (NEET) की तैयारी के साथ बीएससी की पढ़ाई भी की. राज्य सरकार की दी गई स्कॉलरशिप का भी लाभ लिया गया. उनका संस्थान प्रतिभाओं के सहयोग के लिए सदैव तैयार रहता है. नाजिया ने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है. ऐसे बच्चे आगे चलकर क्षेत्र और समाज के लिए उदाहरण और अन्य स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा बनेंगे. ऐसे बच्चों की मदद की वे आगे भी करेंगे.

सरकारी कॉलेज में मिलेगा एडमिशन, गायनोकोलॉजिस्ट बनने का लक्ष्य

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency) ने जारी किए गए नीट के परिणामों में नाजिया ने 668 अंक प्राप्त किए हैं. ऑल इंडिया रैंक 1759 है और ओबीसी कैटेगिरी रैंक 477 है. नाजिया को उसकी ऑल इंडिया रैंक के मुताबिक सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलेगा. नाजिया ने बताया कि एमबीबीएस पूरी मेहनत से करना चाहती है और आगे चलकर महिला एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ (गायनोकॉलोजिस्ट) के रूप में स्वयं को स्थापित करना चाहती है. बच्चों को पढ़ाने में भी नाजिया की रुचि है, अभी भी नीट परीक्षा के बाद काउंसलिंग (NEET Counselling) के समय तक गांव के ही सरकारी स्कूल में नियमित रूप से जाती है. वहां छोटे बच्चों को पढ़ाती है.
नाजिया का कहना है कि उसका परिवार काफी गरीब है. साथ ही परिवार में कोई भी ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है. उसके पिता इसामुद्दीन ने अपने घर के सभी सदस्यों से विपरीत जाकर मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. मेरे पिता ने ही मेरी पढ़ाई को तवज्जो दी और अपनी क्षमता के अनुसार पूरा सहयोग भी किया. कोटा के एक कोचिंग संस्थान के फैकल्टी ने भी पूरा सहयोग किया. पिछले 4 सालों से मिनिट के लिए प्रयासरत थी, हर साल मैंने ज्यादा अंक प्राप्त किए और गत वर्ष 602 अंक थे, लेकिन कॉलेज नहीं मिल पाया. इस बार ज्यादा मेहनत की. जिसके चलते ही मुझे सफलता मिली है.


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