सरसों की फसल प्रभावित, उत्पादन घटने का खतरा, किसान मायूस

कड़ाके की सर्दी ने न सिर्फ जनजीवन बल्कि फसलों को भी प्रभावित किया है।

Update: 2023-01-17 15:21 GMT
करौली. करौली जिले में पिछले एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी ने न सिर्फ जनजीवन बल्कि फसलों को भी प्रभावित किया है। जिले में करीब 4100 हेक्टेयर में बोई गई सरसों की फसल पाले से प्रभावित होने का अनुमान है। पाला पड़ने से सब्जियों की फसलों पर 20-25 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है, जबकि मसलपुर में पान की फसल को 60 फीसदी तक नुकसान होता दिख रहा है. करौली जिले में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। ठंड का असर लोगों के साथ-साथ फसलों पर भी पड़ रहा है। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार विशंभर दयाल शर्मा ने बताया कि जिले में इस बार करीब एक लाख हेक्टेयर में सरसों की फसल बोई गई है। जिसमें करीब 4100 हेक्टेयर सरसों की फसल पाले से प्रभावित होने का अनुमान है। इससे सरसों का उत्पादन 4000 क्विंटल तक कम हो सकता है। गौरतलब है कि यह पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार पिछले सीजन में 1550 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई थी।पाले का असर फलों के उत्पादन पर भी पड़ता है। उप निदेशक उद्यान रामलाल जाट ने बताया कि जिले में रबी सीजन में 3000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल व सब्जियों की बोवनी की जा चुकी है. पाले से करीब 580 हेक्टेयर फसल प्रभावित होने का अनुमान है।
जिले में कड़ाके की सर्दी से भले ही सरसों और फल-सब्जी के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा हो, लेकिन यह सर्दी गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगी। सर्दी के प्रभाव से गेहूं की बालियां बढ़ेंगी और उसमें से अधिक दाने निकलेंगे। कृषि विभाग के अनुसार इस बार जिले में 76 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की फसल बोई गई है। सर्दी का मौसम गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगा। किसानों के अनुसार ठंड से गेहूं के पौधे को फायदा होता है। कड़ाके की ठंड और नमी से गेहूं की ग्रोथ बढ़ जाती है। वर्तमान में जिस प्रकार का मौसम चल रहा है वह गेहूँ के उत्पादन के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि कड़ाके की ठंड और नमी से पौधा बढ़ने के साथ ही चमकदार होगा।
गेहूं की बालियों की वृद्धि बढ़ेगी, जबकि बालियों में अधिक दाने निकलेंगे। कृषि विभाग के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में गेहूं बोया जाता है। वहीं दूसरी ओर फरवरी के दूसरे सप्ताह के आसपास गेहूं के पौधे में बालियां बनने लगती हैं। वर्तमान सर्दी गेहूं के लिए उपयुक्त है। इससे पौधे की वृद्धि बढ़ेगी, बालियों से अधिक दाने निकलेंगे। किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल पर पाले का ज्यादा असर नहीं है। गेहूँ के पौधे की पत्तियाँ बहुत चौड़ी नहीं होती हैं। ऐसे में पाले का पानी पौधों पर टिक नहीं पाता है, जिससे पौधे को नुकसान नहीं होता है। सिंघानिया के कृषि पर्यवेक्षक श्रीराम छाबड़ी के मुताबिक गेहूं में बालियां निकलने पर अगर तापमान 5 डिग्री से कम रहता है तो गेहूं को भी नुकसान हो सकता है.

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