2000 रुपये के नोट वापस लेने पर एमपी अरोड़ा ने कही ये बात

Update: 2023-05-20 11:17 GMT

राजस्थान: केंद्र सरकार और आरबीआई के दो फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा ने चिंता जताई है। आज यहां एक बयान में टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अरोड़ा ने कहा कि 20 प्रतिशत की दर बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि खर्च की गई राशि पर 20 फीसदी का टीसीएस आय का करीब 70 फीसदी जैसा है। यदि कर्मचारी या पेशेवर अपने व्यक्तिगत कार्ड पर पैसा खर्च करते हैं जिसकी अदायगी मालिकों और ग्राहकों द्वारा की जाती है, तो यह समस्या होगी कि टीसीएस को कैसे एडजस्ट किया जाए। पर्सनल क्रेडिट कार्ड व्यक्तिगत पैन कार्ड के साथ बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह कदम डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के खिलाफ है, जिसे सरकार आमतौर पर प्रोत्साहित करती है।" साथ ही उन्होंने कहा कि यह कदम विदेशों में आगंतुकों को आरबीआई द्वारा अनुमति के अनुसार नकद में पैसा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।

सुझाव देते हुए, उन्होंने कहा, "मेरा सुझाव है कि वित्त मंत्रालय इस पर पुनर्विचार करे और सुझाव के अनुसार टीसीएस को घटाकर 5 प्रतिशत कर दे और टीसीएस को एडजस्ट करने के लिए अदायगी कैसे की जा सकती है, इस पर कुछ अधिसूचना जारी करें।" इसके अलावा, 2000 रुपये के नोटों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इन नोटों को वापस लेना अर्थव्यवस्था में व्यवधान है। उन्होंने कहा, "नियमित अंतराल पर करेंसी नोटों को वापस लेने से निवेशकों के लिए और अन्य देशों की नज़र में अर्थव्यवस्था का सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं मिलता है।" उन्होंने कहा कि इस तरह से भारतीय मुद्रा में विश्वास टूट जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार में 10 नोट बदलने का तर्क स्पष्ट नहीं है।

साथ ही गृहिणियों के पास कई बार बचत होती है जो इन करेंसी नोटों में हो सकती है। ऐसे नागरिकों को अपने खाते में जमा करने के लिए कुछ न्यूनतम राशि की घोषणा की जानी चाहिए, जिस पर बाद में सवाल न उठाया जा सके। पिछले समय में की गई नोटबंदी को याद करते हुए, अरोड़ा ने कहा कि जमा राशि वैध होने पर भी बाद में आयकर अधिकारियों द्वारा लोगों का बहुत उत्पीड़न किया गया था। उन्होंने कहा कि लोग अभी भी पिछले समय में की गई नोटबंदी के सदमे से गुजर रहे हैं और अब यह आंशिक नोटबंदी सामने आई है। उन्होंने वित्त मंत्री से उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।

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