कोटा में नहरों में पानी की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ

Update: 2023-07-14 12:38 GMT

कोटा: कोटा खरीफ की फसलों के लिए नहरों में पानी छोड़ने की मांग को लेकर किसान आंदोलन पर उतर गए हैं। क्षेत्रीय किसान संगठन के बैनर तले किसानों ने संभागीय आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया। कार्यालय के बाहर सुबह 10 बजे से किसान प्रतिनिधि गिर्राज गौतम ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। किसानों का कहना ही कि चंबल के बांधों में पर्याप्त मात्रा में पानी है। प्रशासन द्वारा चंबल बैराज के गेट खोलकर डाउनस्ट्रीम में पानी छोड़ा जा रहा है। लेकिन किसानों के लिए नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा।

किसान नेता गिर्राज गौतम ने कहा कि चंबल में पर्याप्त सिंचाई पानी उपलब्ध होने के बाद भी किसानों को नहरी पानी नहीं दिया जाना अन्याय है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। नहरी पानी पर किसानों का अधिकार है।किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि बूंदी व कोटा जिले में धान की फसल किसानों की आय का मुख्य साधन है, अगर किसान की यह फसल किसान की बर्बाद हुई तो किसान कर्ज के नीचे दबता चला जाएगा। प्रशासन को जल्द से जल्द दायीं व बायीं नहर में किसानों के लिए पानी छोड़ना चाहिए। 3 जुलाई को प्रदर्शन कर प्रशासन को चेतावनी दी थी। प्रशासन ने 10 दिन का समय दिया था। उसके बाद भी नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया। मजबूर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठना पड़ा। जब तक नहरों से पानी नहीं छोड़ा जाएगा तब तक आंदोलन जारी रखा जाएगा।

नाली निर्माण नहीं होने से रास्ते में फैला कीचड़

ग्राम पंचायत रजलावता के अरण्या गांव में पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़क का निर्माण करवाया था, लेकिन दोनों साइडों पर नालियां नहीं बनाई गई। जिससे घरों का गंदा पानी सड़क पर फैल रहा है। इसके चलते ग्रामीणों को गंदगी व कीचड़ का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सड़क से गुजरने वाले स्कूली बच्चे आए दिन फिसलने से चोटिल हो रहे हैं। अरण्या के ग्रामीणों ने बताया कि करीब 300 मीटर सड़क में पानी भरा रहता है। जिससे आने जाने वाले लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। मानसून में पानी में मच्छर पैदा होने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन ध्यान नहीं दिया। सबसे अधिक समस्या स्टूडेंट्स को होती है।

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