जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाते मां-बाड़ी केंद्र - प्रदेश के 82 हजार से अधिक बालक-बालिका
प्रदेश में जनजातीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों के गरीब, मजदूर और कृषक परिवारों के बालक-बालिकाओं की शिक्षा एवं स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने की दिशा में माँ-बाड़ी केन्द्र वरदान साबित हो रहे हैं। इन केंद्रों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के माता-पिता इनकी शिक्षा की चिंता से मुक्त होकर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई 'स्वच्छता ,जल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य स्थानीय परियोजना' के अंतर्गत माँ-बाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। जनजातीय इलाकों में पहले स्थानीय बालक-बालिकाओं को शिक्षा के लिए दूर-दराज स्थित स्कूलों में जाना पड़ता था। अब माँ-बाड़ी केन्द्र ने इन बच्चों को प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा देने का ज़िम्मा गाँव में ही सँभाल लिया है।
मुख्यमंत्री का सपना हो रहा साकार
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मंशा है कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में कोई भी बालक-बालिका शिक्षा से वंचित ना रहे। इस मंशा को साकार रूप दे रहे हैं, प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में संचालित मां -बाड़ी केन्द्र। वर्तमान में प्रदेश में कुल 2 हजार 838 माँ -बाड़ी केन्द्र संचालित हैं और इन केंद्रों पर 82 हजार से अधिक बालक-बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मां बाड़ी केन्द्रों में नर्सरी से कक्षा चार तक के बच्चों को पढ़ने की सुविधा के साथ साथ पोषण देने के लिए भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है। मां-बाड़ी केंद्र विशेष रूप से ऐसे स्थानों पर संचालित किये जा रहे हैं, जहां प्राथमिक स्कूल काफी दूरी पर स्थित है या स्कूल जाने के लिए छोटे बच्चों को 2 किलोमीटर से ज्यादा का सफर करना पड़ता है।
जनजातीय बच्चों के लिए शिक्षा की अनूठी पहल
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री आलोक गुप्ता ने बताया कि मां बाड़ी केंद्रों का मुख्य उद्देश्य जनजातीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान कराना है। जनजातीय इलाक़ों में अधिकतर आबादी के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करने के कारण छोटे बच्चों को अक्सर शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर से दूर जाना पड़ता था। मां बाड़ी केन्द्रों की मदद से अब इन बच्चों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधित सभी सुविधाएं उनके घर के आस-पास उपलब्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक केंद्र पर 30 बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए नामांकन किया जाता है| उन्होंने बताया कि प्रत्येक केन्द्र पर एक अथवा दो शिक्षाकर्मी और दो महिला सहयोगी कार्यरत हैं।
केंद्रों पर मिलने वाली सुविधाएं
श्री गुप्ता ने बताया कि इन केन्द्रों पर समस्त बालक-बालिकाओं को पाठ्य पुस्तक-पुस्तिकाएं, स्लेट, पेन्सिल, रबर, स्कूल-बैग एवं केन्द्र हेतु शैक्षणिक सामग्रियाँ नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है। साथ ही, बालकों को निःशुल्क गणवेश, जूते, मोजे, टाई, बेल्ट एवं शीतऋतु के लिए जर्सी भी उपलब्ध करायी जाती है। इन केन्द्रों पर नाश्ता एवं दोपहर का भोजन निर्धारित मेन्यू के अनुसार उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही, खेल सामग्री एवं पोषाहार निर्माण हेतु आवश्यक बर्तन एवं गैस कनेक्शन भी उपलब्ध करवाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ पुराने केन्द्रों को डे-केयर सेंटर के रूप में भी संचालित किया जा रहा है, जिन्हें प्रातः से सायंकाल तक खुला रखा जाता है। इन केन्द्रों पर दोनों समय का भोजन प्रदान किया जाता है।
इन परिवारों को मिल रहा लाभ
पहाड़ी क्षेत्रों के ऐसे जनजातीय परिवार, जिन्हें आजीविका के लिए प्रतिदिन शहर में जाना पड़ता है। जिसके कारण वे अपने बच्चों का ध्यान नहीं रख पाते हैं। गाँव में ऐसे परिवारों की समस्या का हल करने के लिए ही मां-बाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई है।
पूजा और शिवानी को मिली सुविधा
बाँसवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत तेज़पुर के अंतर्गत संचालित माँ-बाड़ी की कक्षा द्वितीय की छात्रा पूजा तथा कक्षा तृतीय की छात्रा शिवानी से बात करने पर उन दोनों ने ही खुश होकर बताया कि उन्हें यहाँ आना बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि उनको सबसे पहले आते ही प्रार्थना करायी जाती है और उसके बाद नाश्ता दिया जाता है। पूजा ने बताया कि वह यहां मन लगाकर पढ़ाई करती है क्यों कि उनको पढ़ाई के साथ साथ बहुत सी तरह के खेल भी खिलाए जाते हैं। शिवानी से पढ़ाई के बारे में पूछने पर उसने बताया कि वह यहां आकर रोज नई नई चीजें सीखती है और उसने कई गीत भी याद कर लिये हैं। इन मां बाड़ी केन्द्रों पर मिलने वाले खाने के बारे में बात करने पर दोनों ही बच्चियों के चेहरे खिल गए। उन्होंने बताया कि उनको सप्ताह भर अलग- अलग तरह का खाना मिलता है, जो स्वाद में बहुत अच्छा होता है। शिवानी बताती है कि वह सब खाना खाने से पहले मंत्र भी बोलते हैं।
वास्तव में मां-बाड़ी केन्द्र जनजाति क्षेत्र के इन छोटे छोटे बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकास का लक्ष्य लिये यह केन्द्र इन बच्चों के स्वस्थ और बेहतर भविष्य की नींव को मजबूती दे रहे हैं। यहां बच्चे न केवल खेल खेल में पढ़ते हैं, बल्कि अच्छी आदतें और व्यवहार भी सीखते हैं।