प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ वन विभाग की ओर से इस बार मानसून में बीजारोपण पर अधिक ध्यान दिया गया है। इसका कारण है कि बीजारोपण से पौधों के जीवित रहने की अधिक संभावना रहती है। वन विभाग की ओर से जिले में इस बार स्थानीय प्रजातियों के करीब 30 क्विंटल बीजों का रोपण किया गया है। जबकि गत वर्ष विभाग ने जंगल में 15 क्विंटल बीजों का रोपण किया गया था। गौरतलब है कि वन विभाग की ओर से हर वर्ष जंगल में पौधरोपण किया जाता है। इसके साथ ही दो वर्षों से बीजों का रोपण भी शुरू किया गया है। जहां पहले वर्ष में पांच क्विंटल बीजों का रोपण किया गया था। वहीं गत वर्ष 15 क्विंटल बीजों का रोपण किया गया। बीजों से बने पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है। इसे देखते हुए विभाग ने इस वर्ष स्थानीय प्रजातियों के पौधों के बीजों का संग्रहण यहां जंगल से कराया था। इन बीजों का रोपण पहली बारिश के बाद किया गया।
वन विभाग की ओर से स्थानीय प्रजातियों के 50 किस्मों के बीजों को एकत्रित किया गया है। इसके तहत कुल 30 क्विंटल बीज एकत्रित किए थे। वन मंडल की 22 नर्सरियों की ओर से इन बीजों का संग्रहण किया गया था। इसके तहत इस वर्ष बीजों का संग्रहण कराया गया था। जिसमें कचनार, बहेड़ा, अमलतास, बिल्व, आंवला, सहजन, बांस, रायण, सागवान, खिरनी, रतनजोत, चुरेल, करंज, जंगल जलेबी, शीशम, इमली आदि प्रमुख है। व्यक्तिगत रूप से पौधों की दर अलग से निर्धारित की गई है। सहायक उपवन संरक्षक दारासिंह राणावत ने बताया कि पौधों की संख्या के अनुसार दरें निर्धारित की है। जिसमें 1 से 10 पौधे के लिए 2 रुपए प्रति पौधा, 11 से 50 पौधा के लिए 5 रुपए प्रति पौधा, 51 से 200 पौधो के लिए 10 रुपए प्रति पौधा निर्धारित की गई है। दरों का निर्धारण इस प्रकार रहेगा कि यदि किसी व्यक्तिगत लाभार्थी द्वारा 20 पौधों की मांग की गई है तो प्रथम 10 पौधे 2 की दर से तथा शेष 10 पौधे 5 रुपए में उपलब्ध हैं।