राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र की हुई शुरुआत

Update: 2023-07-15 08:11 GMT

राजस्थान: राजस्थान विधानसभा का सत्र शुक्रवार यानी 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. एक बार फिर सदन के भीतर विपक्ष के प्रश्न और सत्तापक्ष की तरफ से उत्तरों की बौछार होगी. मगर विधानसभा के इस सत्र में कुछ सदस्य ऐसे भी होंगे, जो अपने सवाल नहीं पूछ सकेंगे. जी हां, राजस्थान विधानसभा के 37 सदस्यों को इस सत्र में सवाल पूछने का मौका नहीं मिल सकेगा. इसकी वजह ये है कि सदन के एक सत्र में एक सदस्य द्वारा 40 तारांकित और 60 अतारांकित सवाल ही लगाए जा सकते हैं.

विधानसभा सचिवालय ने नियमों का हवाला देते हुए जानकारी दी है कि जिन सदस्यों के कुल 100 सवाल लग चुके हैं, उनके सवालों को विधानसभा सचिवालय इस सत्र में स्वीकार नहीं करेगा. आपको बता दें कि पिछले साल यानी 2022 में 33 विधायकों को दूसरे चरण में सवाल लगाने से वंचित होना पड़ा था. बजट सत्र के दौरान सदन में ज्यादा सवाल लगाने के मामले से सक्रिय रहने वाले 37 सदस्य जिन्होंने अपने सवालों का कोटा पूरा कर लिया है वो 14 जुलाई से शुरू होने वाली बैठक में सवालों से वंचित रहने वाले हैं.

15वीं विधानसभा का अखिरी सत्र

विपक्ष की ओर से जिन सदस्यों को सवाल पूछने का मौका नहीं मिल सकता है, उनमें पूर्व विधानसभा अध्य़क्ष कैलाश मेघवाल समेत वासुदेव देवनानी, शंकर सिह रावत, संजय शर्मा सतीश पूनिया, सुभाष पूनिया, सुमित गोधारा, सुरेश टांक, हमीर सिंह भायल शामिल हैं. इनके अलावा नारायण बेनिवाल, दीप्ति किरण माहेश्वरी, अभिनेष महर्षि, अमृत लाल मीणा, अविनाश गहलोत, कालीचरण सर्राफ, गोविन्द प्रसाद, चन्द्रकान्ता मेघवाल, छगन सिंह, झब्बर सिंह, जोरा राम कुमावत, नारायण सिंह को भी प्रश्न पूछने का मौका नहीं मिलेगा. निर्मल कुमावत, पानाचंद मेघवाल, प्रताप सिंह सिंघवी, फूल सिंह मीणा, बलजीत यादव, बिहारी लाल विश्नोई, मदन दिलावर, एवं सत्ता पक्ष की ओर से विधायक रामनारायण मीणा, गणेश घोघरा, भरत सिंह कुन्दपुर, डॉ राजकुमार शर्मा, इन्द्रा, दिव्या मदेरणा, रामनिवास गावडिया, रामलाल मीणा, रूपाराम भी सदन में सवाल पूछने से वंचित रहने वाले हैं.

सवाल लगाने के क्या हैं नियम

विधानसभा में दूसरे सत्र की बैठकें बजट सत्र की अपेक्षा कम होने के कारण एक सदस्य के द्वारा 20 तारांकित और 40 अतारांकित यानि कुल 60 सवाल लगाने के प्रावधान है. विधायकों का कहना है कि जो विधायक सदन के भीतर सक्रिय रहते हैं उन्हें इस नियम का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. साल 2021 में भी विधानसभा का सत्रावसान नहीं होने के कारण इस प्रकार की स्थिति बन गई थी, और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित करीब 25 विधायक सवाल पूछने से वंचित हो गए थे. वहीं 2022 में लगभग 33 विधायकों ने अपने सवाल नहीं लगा पाए थे.

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