अजमेर | अजमेर जिले के गांव से 14 साल की नाबालिग को बहला फुसलाकर ले जाने का मामला सामने आया है। पिता का आरोप है कि नाबालिग घर से जाते समय 15 हजार नकद, डॉक्यूमेन्ट और सोने-चांदी के जेवरात भी ले गई। एक युवक पर शक जताते हुए रूपनगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया है। पिता ने रिपोर्ट दी कि उसकी 14 साल की बेटी को शाम को करीब पांच बजे उचित मूल्य की दुकान पर सामान लेने के लिए भेजा तो दुकानदार ने सामान देने से मना कर दिया। वह वापस लौटआई और बताया कि आपको बुलाया है। जब वह दुकान से लौटा तो देखा की उसकी बेटी घर पर नहीं है। घर से 15 हजार रुपए, स्वयं का आधार कार्ड, चांदी की पायजेब 250 ग्राम की, सोने का बोर एक तोले का, एक सोने का लोंग, चांदी की बिच्छूिड़या भी घर में नहीं था। उसे गोपाल पुत्र ओंकार निवासी लेसवा एवं भागचन्द पुत्र रामाकिशन निवासी ग्राम कुचील एकराय होकर भगाकर ले गए। उसको तलाश किया लेकिन वह नहीं मिली। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच एएसआई महादेव प्रसाद को सौंपी है।
ब्यावर जिले में बिना रजिस्ट्रेशन करोड़ों रुपए निवेश करवाने के मामले में पुलिस ने चिटफंड कंपनी के दो डायरेक्टर सूरत निवासी पार्थ रोहित कुमार दवे व हाउसिंग बोर्ड साकेत नगर ब्यावर निवासी अमरीश मेहता को गिरफ्तार किया है। इनका ऑफिस सीज कर दिया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इसका खुलासा रविवार को अजमेर रेंज आईजी डॉ. लता मनोज कुमार ने किया। प्रारम्भिक पड़ताल में सामने आया कि एक्वावंतो कॉमट्रेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 200 से 400 प्रतिशत का रिटर्न देने का झांसा देकर करीब दो सौ ग्राहकों से 8 स्कीम में करोड़ों रुपए इन्वेस्ट कराया है।
आईजी लता मनोज कुमार ने बताया कि ब्यावर में पुलिस को सूचना मिली कि एक कंपनी अच्छे रिटर्न की बात कहकर पैसे जमा कर रही है। इसके बाद पुलिस ने सत्यापन कराया। सत्यापन में पता चला कि कंपनी लोगों को चार सौ प्रतिशत का रिटर्न का झांसा देकर पैसे जमा कर रही थी। कंपनी के पास किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं था। इसके बाद पुलिस ने कंपनी के दो डायरेक्टर को गिरफ्तार कर लिया है। ऑफिस सीज किया है। डिजिटल रिकॉर्ड भी जब्त किया है। 200 लोगों में से 100 के करीब राजस्थान से हैं। बाकी अन्य स्टेट से हैं। राजस्थान के अन्य शहरों में कंपनी के ऑफिस हैं।
कंपनी एक साल पुरानी है। इसका रजिस्ट्रेशन राजस्थान में नहीं हुआ है। अन्य राज्यों में रजिस्ट्रेशन है। रकम बड़ी है और अलग -अलग जमा की गई है। अब तक जांच में पाया कि सरकारी कर्मचारी व बिजनेस मेन भी है। जो आसानी से कमाने के लालच में पैसा जमा कराया। शुरू में कुछ लोगों को अच्छे रिटर्न देने का मकसद था। इसके पीछे कारण था लोगों में विश्वास दिलाने का। ये लोग सेमिनार भी करते थे। पीड़ित जब आते, जब कंपनी फरार हो जाते। इनका प्लान था। सूचना मिली तो तुरन्त पुलिस ने सजकता बरती। प्रो-एक्टिव तरीके से कार्रवाई की गई। इसकी एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है। पुलिस जांच कर रही है।