गांधी उद्यान में बिना पनपे ही सूख गए औषधीय पौधे, कोटा दक्षिण निगम ने बनाई थी वाटिका

Update: 2023-03-08 13:36 GMT

कोटा: नगर निगम कोटा दक्षिण की ओर से गांधी उद्यान में औषधीय पौधे तैयार करने के लिए एक वाटिका बनाई थी। लेकिन पौधे पनपने से पहले ही सूखकर खत्म हो गए। नगर निगम कोटा दक्षिण की तत्कालीन आयुक्त कीर्ति राठौड़ ने चम्बल गार्डन के पास गांधी उद्यान में औषधीय पौधे लगवाए थे। उद्यान के एक तरफ इसके लिए पूरी एक वाटिका तैयार की गई थी। जिसमें करीब दो सौ से ढाई सौ तरह के औषधय पौधे लगाए थे। करीब एक साल पहले गर्मी के सीजन में उन पौधों को लगाया गया था। पौधों की सुरक्षा के लिए तार की फेंसिग की गई थी। नियमित रूप से पानी देने और उनकी देखभाल के लिए माली तक लगाया गया था। लेकिन हालत यह है कि कुछ समय तक तो वे पौधे चले लेकिन उसके बाद वे धीरे-धीरे सूखने लगे। नगर निगम अधिकारियों और उद्यान प्रभारी ने उन पौधों को बचाने के पूरे प्रयास किए लेकिन वे भी उन्हें नहीं बचा सके।

इन पौधों को लगाया था

नगर निगम द्वारा सामान्यत: कई तरह के पौधे अपनी क्या री में तैयार करवाए जाते हैं। साथ ही वन विभाग से भी पौधे लेकर उनका नि:शुल्क वितरण बरसात के समय में किया जाता है। लेकिन निगम ने पहली बार औषधीय पौधे लगाने का प्रयास किया। उद्यान प्रभारी रामलाल ने बताया कि निगम द्वारा तुलसी, गिलोय,नीम, आंवला, एलोवीरा, अश्वगंधा, दालचीने, पत्थर चट्टा, बेल समेत करीब दो सौ से ढाई सौ तरह के पौधे लगाए थे। लेकिन उनमें से एक भी पौधा सही ढंग से नहीं पनप सका। उससे पहले ही खत्म हो गए।

जानकारी देने व वितरण की थी योजना

तत्कालीन आयुक्त ने प्रयास किया था कि नगर निगम द्वारा स्वयं के स्तर पर औषधीय पौधे तैयार किए जाएं। उनके पनपने पर गार्डन में आने वालों को उन पौधों की उपयोगिता की जानकारी दी जाएगी। साथ ही बड़े होने पर उन पौधों का वितरण लोगों में किया जाएगा। जिससे अधिक से अधिक लोग उनका उपयोग कर लाभांवित हो सके। लेकिन निगम अधिकारियों का यह प्रयास सफल नहीं हो सका।

वन विभाग ने निगम के माध्यम से बांटे से पौधे

वन विभाग द्वारा पिछले साल बरसात के सीजन में नर निगम के माध्यम से घर-घर औषधीय पौधों का वितरण कराया था। हर घर में पांच-पांच पौधे देने का लक्ष्य था। हालांकि निगम व वन विभाग का दावा है कि अधिकतर घरों में औषधय पौधे सेक्टरों के माध्यम से बटवाएं गए। जबकि हकीकत में बहुत कम परिवारों तक वे पौधे पहुंच पाए थे।

इनका कहना है

नगर निगम कीओर से पिछले साल गांधी उद्यान में औषधीय पौधों के लिए एक वाटिका तैयार की थी। वहां कई तरह के औषधीय पौधे लगाए। उनकी सुरक्षा के साथ ही नियमित पानी भी दिया गया। खाद भी डाली गई। धूप व हवा की भी पर्याप्त व्यवस्था थी। उसके बावजूद एक भी पौधा पहली बार में भी हरा नहीं हो सका। उससे पहले ही सूखकर खत्म हो गए। इसका कारण मिट्टी, खाद या मौसम रहा। इस बारे में विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी। यदि कोई कमी रही है तो उसे सुधारते हुए दोबारा से प्रयास किया जाएगा। लेकिन यदि क्लाइमेट मुख्य कारण रहा होगा तो यहां के क् लाइमेट के हिसाब से पौधे लगाए जाएंगे।

-ए.क्यू कुरैशी, उद्यान अधीक्षक नगर निगम कोटा दक्षिण 

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