निजी विद्यालयों में मौसमी बीमारियों एवं लू-तापघात के बचाव के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग फैलाएगां जागरूकता
भीलवाड़ा। जिले में अत्यधिक गर्मी के चलते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से एहतियात बरतने की अपील की है। इन दिनों अत्यधिक गर्मी होने से आमजन तापघात की चपेट में आ सकते हैं, गर्मी में खासकर हाईरिस्क वाले बच्चे, वृद्वजन, गर्भवती महिलाएं, श्रमिक लोगों को ख्याल रखने की जरूरत है। वहीं गर्मी के मौसम में चिकित्सा संस्थानों पर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश चिकित्सा अधिकारियों को दिए हैं। जिले में मौसमी बीमारियों एवं लू-तापघात/हीट वेव बचाव के लिए मई से जुलाई माह में चिकित्सा विभाग एवं शिक्षा विभाग के कार्मिकों के समन्वित प्रयासों से राजकीय एवं निजी विद्यालयों में प्रार्थना सभाओं में मौसमी बीमारियों से बचाव व रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाएंगे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने यह जानकारी देकर बताया कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए क्षेत्र में चिकित्सा कर्मियों के द्वारा विद्यालयों में प्रार्थना सभाओं के दौरान जागरूकता फैलाने का कार्य किया जायेगा साथ ही लार्वा का डेमोस्ट्रेशन दिखाने सहित बुखार रोग से पीड़ित बच्चों की ब्लड स्लाइड लेकर निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जायेगा।
लू-तापघात/हीट वेव बचाव के लिए सावधानियां जो बेहद जरूरी है-
सीएमएचओ डॉ0 गोस्वामी ने बताया कि जहां तक सम्भव हो धूप में न निकलें, धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़ व गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही जरूरी होने पर बाहर निकलें। रंगीन चश्मे एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पिएं एवं पेय पदार्थों जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। अधिक गर्मी से प्राय हाई रिस्क श्रेणी वाले लोग जैसे कि कुपोषित बच्चे, वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं व शुगर, बीपी आदि के मरीज शीघ्र प्रभावित होते हैं। यथासंभव इन्हें बाहर न निकलने दें व इनका विशेष ध्यान रखें। स्वास्थ्य संबंधी जरूरत होने पर 108 एम्बुलेंस का प्रयोग करें और मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं। नरेगा अथवा अन्य श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जावे ताकि श्रमिक थोड़ी-थोड़ी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सकें।