मांजी के मंदिर और घाट पर शुल्क वसूली से नहीं मिली राहत

Update: 2023-06-11 11:41 GMT

उदयपुर। राजस्थान में मंदिर के आगे बने एक घाट पर देवस्थान विभाग शुल्क वसूल रहा है। इसका विरोध उदयपुर की आम जनता के साथ विभिन्न संगठन कर रहे हैं। मामला अदालत में पहुंचा लेकिन अपीलकर्ताओं को अदालत से किसी तरह की राहत नहीं मिली।

मामला विख्यात पीछोला झील किनारे सरदार स्वरूप श्यामजी का मंदिर(मांजी का मंदिर)के घाट का है। जिस पर देवस्थान विभाग प्रति यात्री शुल्क वसूल रहा है। ई-निविदा के जरिए विभाग ने अब यह काम मैसर्स रॉयल इंफ्रा डेवलपर्स को सौंपा है, जो यहां शुल्क वसूली करेगा।

मांगा पंद्रह दिन में जबाव

मांजी का घाट और मंदिर में प्रवेश निशुल्क करने और देवस्थान विभाग की ओर से जारी टेंडर प्रक्रिया पर स्टे लगाने की अपील को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया। हालांकि देवस्थान विभाग से जबाव मांगा है कि घाट तथा मंदिर के बाहर प्री—वेडिंग शूट से जन आस्था एवं मर्यादा किस तरह बनी रहेगी। इसके लिए देवस्थान विभाग को पंद्रह दिन का समय दिया गया है। देवस्थान विभाग के मांजी का मंदिर घाट पर शुल्क लगाए जाने के विरोध में एडवोकेट भारत कुमावत, निर्मल चौबीसा, जय सोनी एवं रोहित चौबीसा ने सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ खंड) शहर—दक्षिण में प्रार्थना पत्र पेश किया था। जिसके खारिज होने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रम—2 में अपील की थी।

अदालत ने यह भी पूछा, ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि घाट पर लगाना पड़ा शुल्क

मामले में अपील भले ही अदालत ने निरस्त कर दी लेकिन पीठासीन अधिकारी ने देवस्थान विभाग से इस बात का उत्तर देने को कहा है, जिसमें कहा गयाकि जब विभाग का मुख्य कार्य मंदिरों की देखरेख है तो ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि उसे घाट एवं तिवारियों पर शुल्क लगाना पड़ा। अदालत ने पूछा कि जो स्थान धार्मिक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए एवं धार्मिक क्रियाकलापों में उपयोग आता रहा है, उसे आमजन के लिए प्रवेश शुल्क लगाकर मंदिर में दर्शन का समय सीमित कर प्री वेडिंग फोटोशूट के बहाने शुल्क एकत्रित करना पड़ रहा है। देवस्थान विभाग का मुख्य कार्य मंदिर के प्रशासन एवं देखरेख के अतिरिक्त आमजन की धार्मिक भावनाओं का संरक्षण करना भी रहा है। ऐसे में मंदिर परिसर के बाहर प्री वेडिंग शूट करवाए जाने से किस प्रकार से मंदिर प्रशासन बेहतर होगा एवं किस प्रकार से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होगी, यह स्पष्ट नहीं है।

देवस्थान विभाग जारी कर चुका कार्यादेश

अदालत ने फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि शुल्क संबंधी कार्यदेश देवस्थान विभाग जारी कर चुका है, जो आरंभिक स्तर पर है। ऐसी दशा में देवस्थान विभाग से अपेक्षा की जाती है कि वह उपरोक्त समस्त तथ्यों के संदर्भ में कारण सहित अपना जवाब 15 दिन में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। इस मामले में अपीलकर्ता भरत कुमावत के साथ अन्य अपीलार्थी पक्ष की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने की। जबकि देवस्थान विभाग की ओर से अधिवक्ता अनुराग शर्मा, जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक की ओर से अपर लोक अभियोजक यूसुफ, नगर निगम की ओर से महेंद्र ओझा, नगर विकास प्रन्यास की ओर से मनीष श्रीमाली ने पैरवी की।

नगर निगम जता रहा अपना हक

मांजी का मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है लेकिन नगर निगम ने अदालत में बताया कि झील किनारे जितने भी घाट तथा तिवारियां हैं, उन पर निगम का हक है और उस संबंध में निगम ने दस्तावेज भी अदालत में भी पेश किए हैं।

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