जोधपुर न्यूज: सीएम अशोक गहलोत ने पिछले चार साल में राज्य के बजट में अपने शहर के लिए 30 से ज्यादा बड़ी घोषणाएं कीं. विपक्ष से घिरे होने के बावजूद हर बजट में 20-20 बार जोधपुर के नाम किया जाता था. फिर भी दो टर्म की तुलना में इस बार चिकित्सा क्षेत्र को छोड़कर शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई बड़ा काम नहीं हो सका. जैसे 2019 के बजट में एलिवेटेड रोड की घोषणा की गई थी, लेकिन डीपीआर फिर राजनीतिक साख के भंवर में उलझ गई है।
2020 के बजट में कैंसर संस्थान को दिया गया था, जो निर्माणाधीन है। 2021 के बजट में सीवरेज के लिए 500 करोड़ देने थे, मिले सिर्फ 338 करोड़ इसमें भी केंद्र से अमृत योजना के तहत राशि मिली थी। शहर प्रमुख सीवरेज लाइनों के धंसने से जूझ रहा है। 2022 के बजट में स्मार्ट सिटी का वादा किया गया था लेकिन योजना कागज पर नहीं उतरी। मेडिकल भवन बन रहे हैं, लेकिन मैनपावर नहीं है। 5-6 जिला अस्पताल व सेटेलाइट अस्पताल का दर्जा दिया गया है, लेकिन स्टाफ नहीं है।
'घरवालों' की मांग- प्रोजेक्ट्स का दिखावा नहीं, पुल-सड़कों और इंफ्रा की वो चीजें दें कि हमारा जोधपुर भी शहर जैसा दिखे
वर्ष 2019
लिफ्ट नहर फेज III- लागत थी 1454 करोड़, दो साल से लोन नहीं मिलने से मामला अटका तब राज्य सरकार ने 1600 करोड़ दिए। पिछले नवंबर में काम शुरू हुआ था, इसे पूरा होने में 3 साल लगेंगे।
कांकणी में 765 केवी जीएसएस-3 हजार करोड़ का निर्माण होना था, लेकिन अब तक जमीन पर अतिक्रमण व विवाद के कारण काम शुरू नहीं हो सका।