नागौर , नागौर. करीब 45 हजार परिवारों की किस्मत में फिलहाल मुफ्त गेहूं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। करीब चार महीने से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत परिवारों के चयन का काम बंद पड़ा है। सारा दोष बंद पोर्टल को दिया जा रहा है। मुफ्त गेहूं की हरी झंडी नहीं मिलने से हजारों परिवार को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा फूड पैकेट भी नहीं मिल सकेगा। सूत्रों के अनुसार खाद्य सुरक्षा के तहत चयनित परिवारों का काम बंद पोर्टल की वजह से रुका हुआ है। जिले में इसके लिए एक लाख 19 हजार 877 परिवारों ने आवेदन किया था। इनमें 34 हजार 117 परिवारों का इसके लिए चयन हुआ। करीब ग्यारह सौ फार्म रद्द किए गए, जबकि 39 हजार 900 आवेदन खामियां पूरी करने के लिए आवेदक को लौटाए गए। शेष 44 हजार 760 आवेदन स्वीकृत ही नहीं हुए यानी कि चार महीने से इन पर गौर ही नहीं किया गया। वर्तमान में नागौर जिले के पांच लाख 67 हजार परिवारों को मुफ्त गेहूं का लाभ दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि आवेदन का क्या हुआ, इसे लेकर लोग रसद विभाग के दफ्तर पहुंच रहे हैं।
पोर्टल इतने समय से बंद होने का मतलब भी किसी के गले नहीं उतर रहा। कहा तो यह भी जा रहा है कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को वर्तमान में दिए जा रहे गेहूं को पर्याप्त बताते हुए आगे गेहूं देने से मना कर दिया है। संभवतया इसके चलते ही परिवारों के चयन का काम ही अघोषित रूप से बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की बिजली समेत अन्य राहत में अन्नपूर्णा फूड पैकेट भी शामिल है। अब चयन से वंचित लोगों को इसका लाभ नहीं मिलने की आशंका है।
जांच में कई फर्जी पकड़े गए
जिला रसद विभाग के साथ सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में शामिल लाभार्थियों की तत्कालीन जिला कलक्टर पीयूष समारिया के निर्देश पर गुप्त जांच कराई गई थी। राशन की दुकान पर गेहूं लेने को आने वाली लग्जरी गाड़ियों ने प्रशासन की आंखें खोल दी। नियमों के हिसाब से भी कमर्शियल वाहन को छोड़ किसी भी परिवार के पास चौपहिया वाहन होगा तो वह इस योजना का पात्र नहीं हो सकता। ऐसे ही कुछ परिवारों को गेहूं देना बंद कर दिया गया।