हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ हत्या व साक्ष्य नष्ट करने के मामले में स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र चौधरी ने आरोपी राजाराम उर्फ राजू पुत्र लीलूराम निवासी धन्नासर, रावतसर को आजीवन कारावास व 1.50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. अर्थदंड न देने की स्थिति में आरोपी को 9 माह अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश दिया गया है। मामले के अनुसार परिवादी सुभाष ने 25 सितंबर 2020 को थाना खूइयां में मामला दर्ज कराया कि उसका पिता लीलूराम छह सितंबर की सुबह नौ बजे अपनी बहन से मिलने शेरपुरा (महाजन) गया था. अगले दिन पल्लू वापस आ गया था. पूर्वाह्न 11 बजे लेकिन उसके बाद उनकी उपस्थिति का कोई पता नहीं चला।
आसपास और रिश्तेदारों में भी नहीं मिले। इस पर 14 सितंबर को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई थी। गांव के राजीराम बाना ने उन्हें आखिरी बार अपने पल्लू में देखा था। मुझे पता चला कि मेरे भाई के साले राजाराम ने दुश्मनी के चलते अपने पिता को मार डाला और शव को कहीं फेंक दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर अनुसंधान आरोपित के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया। अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 20 गवाहों का परीक्षण कराया गया तथा 56 दस्तावेज प्रदर्शित किये गये।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद एडीजे राजेंद्र चौधरी ने बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए आरोपी को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना व धारा 201 के तहत 5 साल कठोर कारावास व 50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई. की सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि अभियुक्तों ने लीलूराम की गला घोंटकर हत्या करने, शव को सुनसान जगह में छुपाने और अहम सबूतों को नष्ट करने का अपराध किया था. ऐसा करना सामाजिक और कानूनी दृष्टि से घृणित कार्य है। ऐसे में आरोपितों के प्रति नरम रवैया अपनाना उचित नहीं है। राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक महेंद्र जैन पेश हुए।