श्रीपुरा बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय
इस स्कूल में कुल 450 बालिकाओं का नामांकन है, जबकि 15 कक्षा कक्ष हैं, जो बच्चों की संख्या के अनुपात में बहुत कम है। इनमें से तीन कमरों की छतें टपकती है। कई कक्षा-कक्ष जर्जर अवस्था में है। स्कूल में हिंदी व चित्रकला के दो व्याख्याता के पद रिक्त हैं। रमसा से 75 हजार का बजट मिलता है, जो पर्याप्त नहीं है। हर माह 7 हजार रूपए का बिजली बिल में चला जाता है। इसके अलावा पानी, टेलीफोन, स्टेशनरी, फर्नीचर, साफ-सफाई सहित अन्य कार्यों में खर्च हो जाता है। कक्षा-कक्षों की मरम्मत के लिए बजट बचता ही नहीं है। यहां कम्प्यूटर लैब है, जिसमें 20 कम्प्यूटर लगे हैं, जो सभी खराब है। स्कूल के आसपास झाड़-झंगाड़ उगे हुए हैं, जहां जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा रहता है।
लाइब्रेरी में घूमते हैं सांप व अजगर के बच्चे
स्कूल की लाइब्रेरी के पीछे खाली जगह है, जहां बड़ी-बड़ी झाड़ियां व खरपतवार उगी है। जिनमें जहरीले जीव-जंतुओं की मौजदुगी बनी हुई है। लाइब्रेरी में पीछे की ओर एक गेट है, जिसकी जालियां टूटी होने से आए दिन सांप आ जाते हैं। शुक्रवार को अजगर का बच्चा लाइब्रेरी के बाहर नजर आने से हड़कम्प मच गया था। लाइब्रेरी इंचार्ज ने बताया कि यहां पैर जमीन पर रखकर नहीं बैठ सकते। यहां वितरण के लिए किताबों का ढेर है, जहां सांप छिपे रहते हैं।
उखड़े पत्थर के कातले, चोटिल होते बच्चे
विद्यालय परिसर में सीमेंटेड फर्श नहीं है। प्रांगण में दांयी-बार्इं तरह दो भवन हैं, जहां एक ओर 1 से 5वीं तक की कक्षाएं तो दूसरी तरफ 10वीं से 12वीं की कक्षाएं लगती हैं। परिसर में पत्थरों के कातले लगे हैं, जो उबड़-खाबड़ हैं। ऐसे में यहां से गुजरने के दौरान बालिकाओं के पैरों में चोट लग जाती है। विद्यालय परिसर में बंदरों की उछल-कूद लगी रहती है, इनकी वजह से बालिकाएं परिसर में खेल भी नहीं सकती।
कम्प्यूटर टीचर ही नहीं
कम्प्यूटर लैब है, जहां 20 कम्प्यूटर लगे हुए हैं। इनमें से एक भी कम्प्यूटर सही नहीं है, सभी खराब हो चुके हैं। विद्यालय प्रशासन ने सही करवाने के लिए विभाग में गुहार भी लगाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। वहीं, कम्प्यूटर टीचर नहीं होने से बालिकाओं को कम्प्यूटर की शिक्षा नहीं मिलती। इसके अलावा यहां विज्ञान किट व प्राइमरी बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा देने के लिए जरूरी एबीएल किट तक नहीं है।
स्कूल परिसर में करीब 500 मीटर का एरिया पूरी तरह से जंगल हो रहा है। लंबे समय से यहां सफाई नहीं हुई। बड़े-बड़े पेड़-पौधे सहित खरपतवार उगी हुई है। इसी जंगल में जर्जर कक्षा-कक्ष हैं, जहां 6 से 8वीं की क्लास लगती है। बारिश होते ही सांप-गोयरा सहित अन्य जहरीले जीव जंतु कक्षा कक्षों तक पहुंच जाते हैं। यहां हर पल जिंदगी दांव पर लगी रहती है।
सिंधी विषय के टीचर पढ़ा रहे चित्रकला
यहां एक साल से चित्रकला शिक्षक का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में 11वीं-12वीं क्लास के बच्चों को सिंधी विषय के व्याख्याता ही चित्रकला पढ़ाते हैं। कारण जानने पर विद्यालय प्रशासन ने तर्क दिया कि उनके बीए में चित्रकला थी, इसलिए वे सिंघी विषय के साथ चित्रकला भी पढ़ा लेते हैं। विशेषज्ञ के अभाव में बालिकाओं को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पाती।
जर्जर भवन और टपकते कक्षा-कक्ष
यह स्कूल 1 से 8वीं तक संचालित हैं। यहां कुल 8 कक्ष हैं, जिसमें 7 क्लारूम व 1 पोषाहार के लिए रसोई है। एक रूम में दो क्लासें, बच्चों को बैठाने की पर्याप्त जगह नहीं है। बारिश में छतें टपक रही। जगह-जगह से पलास्टर उखड़ा, दीवारों में सीलिंग व जर्जर भवन में हर पल हादसे का खतरा है। यहां कुल 240 बच्चों का नामांकन है। इतने बच्चों को एक साथ पोषाहार खिलाने की जगह और खेल गतिविधियों के लिए मैदान नहीं है। वहीं, विभिन्न विषयों को प्रेक्टिकली पढ़ाने के लिए दिए जाने वाले एबीएल किट तक नहीं है। जगह की तंगी के कारण शोर-शराबे के बीच शिक्षक अपनी बात ठीक से बच्चों को समझा भी नहीं पाते। इन्हीं अव्यवस्थाओं के कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
जगह की तंगी और खेलने को मैदान नहीं
संजय नगर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की संख्या के अनुपात में कक्षा कक्ष नहीं है। जगह की तंगी होने से एक कक्ष में दो-दो क्लास चलानी पड़ती है। छतों का प्लास्टर उखड़कर गिरता रहता है। हादसे की आशंका बनी रहती है। मरम्मत के लिए बजट तक नहीं मिला। वहीं, खेल मैदान नहीं होने से प्रतियोगिताओं का आयोजन भी नहीं कर पाते। स्कूल से दो किमी दूर आईटीआई व पोलोटेक्निक कॉलेज का ग्राउंड है, जहां सारे बच्चों को एक साथ ले जाना संभव नहीं है।
स्कूल में बच्चों की संख्या के अनुपात में कक्षा-कक्ष की कमी है। 11वीं-12वीं के बच्चों के ऐच्छिक विषयों की क्लास परिसर में लगानी पड़ती है। विद्यालय की आधी जमीन पर तो जंगल बस गया। बजट नहीं होने से हम इसकी सफाई नहीं करवा पा रहे। उच्चाधिकारियों व यूआईटी को भी पत्र लिख यहां की सफाई करवाने का आग्रह किया है। वहीं, आवारा श्वान व बंदरों की समस्या अधिक है। इलाके के स्ट्रीट डॉग विद्यालय परिसर में घुस जाते हैं। जिन्हें पकड़ने के लिए निगम को शिकायत भेजी थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई। -आभा शर्मा, प्रिंसिपल राज. बा. उच्च माध्यमिक विद्यालय श्रीपुरा
श्रीपुरा बालिका स्कूल की हालत खराब है। खेल मैदान व कक्षा-कक्षों के पीछे जंगल उगा है, जहां जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी से बच्चों को खतरा रहता है। स्कूल प्रिसिंपल ने अभी तक मुझे इस संबंध में लिखित शिकायत नहीं दी है। यदि शिकायत मिलती है तो यूआईटी के माध्यम से खरपतवार की सफाई करवाकर किचन गार्डन विकसित करवाएंगे।
-प्रदीप चौधरी, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक